“मुख्यमंत्री के गृह ज़िले में प्रेस की आज़ादी पर संकट, पत्रकारों का हल्ला बोल”

ख़ोज ख़बर छत्तीसगढ संवाददाता जयपुर
जशपुर। मुख्यमंत्री के गृह ज़िले जशपुर में पत्रकारों पर मानहानि नोटिस थोपने और मुकदमा दर्ज कराने की धमकी के विरोध में शुक्रवार को जिलेभर के पत्रकार संगठनों ने ज़िला कलेक्टर कार्यालय का घेराव कर जोरदार विरोध दर्ज कराया। इस दौरान पत्रकारों ने कलेक्टर के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा और जनसंपर्क विभाग की सहायक संचालक नूतन सिदार के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की।
पत्रकारों के आरोप
ज्ञापन में पत्रकारों ने आरोप लगाया कि नूतन सिदार ने अपने अधीनस्थ कर्मचारियों की आड़ लेकर पत्रकारों को एक-एक करोड़ रुपये की मानहानि नोटिस थमाई है। यह कदम न केवल असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक है, बल्कि लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर सीधा हमला है।
पत्रकारों का कहना है कि इससे स्पष्ट होता है कि विभागीय अधिकारी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दमन करने की कोशिश कर रहे हैं।
ज्ञापन में दर्ज बिंदु
पत्रकारों ने अपने ज्ञापन में कहा—
1. पत्रकारों को मानहानि नोटिस भेजकर अपमानित किया गया और लोकतंत्र की गरिमा को ठेस पहुँची।
2. पूरे प्रकरण पर जिला कलेक्टर की चुप्पी दुर्भाग्यपूर्ण और संदिग्ध है।
3. विभागीय अधिकारी जनसंपर्क आयुक्त के साथ मिलकर षड्यंत्र रच रहे हैं।
4. मुख्यमंत्री और संवाद प्रमुख को गुमराह कर गलत दिशा में धकेला गया है।
5. पत्रकारों को अपराधी की तरह प्रस्तुत करने का कृत्य लोकतंत्र पर सीधा हमला है।
पत्रकारों की प्रमुख मांगें
नूतन सिदार के खिलाफ तत्काल अपराध पंजीबद्ध कर उन्हें सेवा से बर्खास्त किया जाए।
उच्च स्तरीय जांच समिति गठित कर पूरे मामले की निष्पक्ष जांच हो।
शासन-प्रशासन स्पष्ट करे कि पत्रकारों को धमकाने और मानहानि नोटिस भेजने का आदेश किस दबाव में दिया गया।
जनसंपर्क विभाग में सुधारात्मक कदम उठाए जाएं ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।
आंदोलन की चेतावनी
पत्रकारों ने स्पष्ट किया कि यह मामला केवल जशपुर का नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश की लोकतांत्रिक व्यवस्था और प्रेस की स्वतंत्रता से जुड़ा हुआ है। यदि त्वरित और ठोस कार्रवाई नहीं हुई, तो राज्यभर के पत्रकार उग्र आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।
पत्रकारों की एकजुटता
ज्ञापन पर बड़ी संख्या में स्थानीय, वरिष्ठ और युवा पत्रकारों सहित विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों ने हस्ताक्षर किए। इससे साफ है कि पत्रकार समुदाय इस मुद्दे को अपनी प्रतिष्ठा और अस्तित्व की लड़ाई मान रहा है।
👉 इस घटना ने अब स्थानीय स्तर से आगे बढ़कर राज्यस्तरीय राजनीतिक और प्रशासनिक हलचल को भी तेज कर दिया है, क्योंकि मामला सीधे मुख्यमंत्री के गृह ज़िले से जुड़ा है।


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