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तिल्दा-नेवरा  जल जीवन मिशन में करोड़ों खर्च,  सूखे नल – प्यासे ग्रामीण,  जनप्रतिनिधि दे रहे गोलमोल जवाब??.

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संवाददाता संतोष कुमार यदु

रायपुर जिले के   तिल्दा ब्लाक अंतर्गत आने वाले ग्रामपंचायत कोहका  केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी जल जीवन मिशन योजना का हाल रायपुर जिले के तिल्दा विकासखंड में बेहाल नजर आ रहा है। करोड़ों रुपये की लागत से बनाई गई पानी की टंकियां अधूरी, बिछाई गई पाइपलाइन बेकार, और ग्रामीणों को नसीब नहीं एक बूंद पानी!

सरकार भले ही हर घर को नल से जल देने का दावा कर रही हो, लेकिन हकीकत में यह योजना ठेकेदारों और जिम्मेदार अफसरों की लापरवाही की भेंट चढ़ती दिख रही है।  लेकिन आज भी कई गांव प्यासे हैं।

सूखा पड़े   हैंडपंपों    नल, प्यासे गांव


तिल्दा-नेवरा क्षेत्र के  नेवरा कोहका, तुलसी, जोता, कोटा सिनोधा, बिलाडी , खपरी, जैसे कई गांवों में पानी की टंकियां तो बनी है लेकिन पाइप लाइन में पानी नहीं है , कुछ जगहों पर तो बोर खनन तक नहीं हुआ! कोहका तुलसी  में हालात बदतर हैं – हैंडपंप खराब, टंकी से पानी सिर्फ 10 मिनट, और महिलाएं कई किलोमीटर दूर से पानी लाने को मजबूर।

करोड़ों रुपये गए कहां?


सवाल ये उठता है कि जब इस योजना पर करोड़ों रुपये खर्च किए गए, तो ग्रामीणों तक पानी क्यों नहीं पहुंचा? टंकियां खड़ी कर दी गईं, पाइपलाइन बिछा दी गईं, लेकिन पानी पहुंचाने की सबसे अहम कड़ी गायब! इस लापरवाही के लिए आखिर जिम्मेदार कौन?

जनप्रतिनिधि का गोलमोल जवाब

जब हमारी टीम ने इस मुद्दे पर  सवाल किए, तो उन्होंने कहा कि बैठक कर जांच करवाई जाएगी, दोषी पाए जाने वालों पर कार्रवाई होगी। लेकिन सवाल यह है कि क्या इस जांच से ग्रामीणों को पानी मिल जाएगा?

गर्मी में संकट और गहराएगा


मौसम के तेवर चढ़ते ही जल संकट और भी विकराल होने वाला है। जिन गांवों में अभी पानी की किल्लत है, वहां आने वाले महीनों में हालात और बिगड़ेंगे। अगर जल्द ही इस मुद्दे पर ठोस कार्रवाई नहीं हुई, तो सरकार की यह योजना पूरी तरह फ्लॉप साबित हो जाएगी।

ग्रामीणों की मांग – “हमें जांच नहीं, पानी चाहिए!”

ग्रामीणों का साफ कहना है कि अब बैठकों और आश्वासनों से काम नहीं चलेगा। सरकार ने योजना बनाई, पैसा खर्च किया, लेकिन अगर पानी नहीं मिला तो यह योजना सिर्फ घोषणाओं की फाइलों में ही सिमट कर रह जाएगी।


अब देखना होगा कि शासन-प्रशासन इस गंभीर मुद्दे पर क्या ठोस कदम उठाता है, या फिर यह योजना भी बाकी सरकारी योजनाओं की तरह सिर्फ कागजों में ही सिमट कर रह जाएगी!

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