Breaking News

मनेंद्रगढ़ – विश्व टीबी दिवस के अवसर पर संजय सिंह केंद्रीय चिकित्सालय सीएमओ ने एक जागरूकता रैली का आयोजन किया

Khojkhbarchhattisgarh.com

*विश्व टीबी दिवस के अवसर पर केंद्रीय चिकित्सालय सीएमओ ने जागरूकता रैली का आयोजन किया*

मनेंद्रगढ़ – विश्व टीबी दिवस के अवसर पर संजय सिंह केंद्रीय चिकित्सालय सीएमओ ने एक जागरूकता रैली का आयोजन किया। इस रैली का उद्देश्य लोगों को टीबी के बारे में जागरूक करना और इसके प्रति लोगों में संवेदनशीलता पैदा करना था¹।

रैली में स्वास्थ्य विभाग केअधिकारी,चिकित्सक,नर्सिंग कॉलेज की छात्राओं और स्थानीय निवासी शामिल हुए। रैली के दौरान, प्रतिभागियों ने टीबी के बारे में जानकारी देने वाले पोस्टर और बैनर लेकर चले।

केंद्रीय चिकित्सालय सीएमओ संजय सिंह ने कहा, “टीबी एक गंभीर बीमारी है, लेकिन इसका इलाज संभव है। हमें लोगों को इसके प्रति जागरूक करना होगा ताकि वे इसके लक्षणों को पहचान सकें और समय पर इलाज करा सकें।”

केंद्रीय अस्पताल मनेंद्रगढ़ के डॉक्टरों, कर्मचारियों, नर्सिंग कॉलेज की छात्राओं एवं अन्य स्थानीय निवासी द्वारा टीबी मुक्त भारत के लिए शपथ ली गई,

वार्ड पार्षद श्री स्वप्निल सिन्हा द्वारा एक टीबी विजेता को सम्मानित किया गया। डॉ सुमन पाल ने टीबी के कारण, लक्षण और उपचार पर प्रकाश डाला। डॉ लवलेश गुप्ता ने विश्व टीबी दिवस के महत्व और इस बीमारी से निपटने के लिए सरकार द्वारा की गई विभिन्न पहलों के बारे में बताया। वार्ड पार्षद श्री स्वप्निल सिन्हा ने दिवस के बारे में अपने विचार साझा किए और इस बीमारी को खत्म करने के लिए 100 दिनों के विशेष अभियान के दौरान केंद्रीय अस्पताल मनेंद्रगढ़ द्वारा किए गए कार्यों की प्रशंसा की।

इस अवसर पर, स्वास्थ्य विभाग ने टीबी के रोगियों के लिए नि:शुल्क इलाज और जांच की सुविधा प्रदान करने की घोषणा की।

About Santosh Kumar

Check Also

🌿 पर्यावरण नहीं बचेगा तो हम भी नहीं बचेंगे 🌏

(विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून 2025 पर विशेष संपादकीय)

हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। यह दिन महज एक औपचारिकता नहीं, बल्कि चेतावनी है — हमारी धरती, हमारी प्रकृति अब और ज्यादा बोझ नहीं सह सकती। इस वर्ष की थीम है “प्लास्टिक प्रदूषण पर विजय – एक साथ मिलकर समाधान”, जो हमें उस संकट की याद दिलाती है जो हमारे रोज़मर्रा के जीवन का हिस्सा बन चुकी प्लास्टिक से जुड़ा है।

छत्तीसगढ़ जैसे हरित राज्य में जहां वनों की भरमार है, आदिवासी परंपराएं प्रकृति से जुड़ी हैं और नदियां जीवनदायिनी बनकर बहती हैं, वहां भी हम देख रहे हैं कि नदियां सिकुड़ रही हैं, जंगल उजड़ रहे हैं और हवा जहरीली होती जा रही है। विकास की दौड़ में हमने पर्यावरण की कीमत चुकाई है — और अब वह मूल्य बहुत महंगा हो चला है।

पर्यावरण की दुर्दशा के मुख्य कारण:

  • पेड़ों का अंधाधुंध कटाव
  • अवैध खनन और औद्योगिक प्रदूषण
  • प्लास्टिक और पॉलीथीन का अत्यधिक प्रयोग
  • जल स्रोतों का दोहन और शहरीकरण

“खोज खबर छत्तीसगढ़” के माध्यम से हम सभी पाठकों से अपील करते हैं:

  • कम से कम एक पौधा लगाएं और उसकी देखभाल करें।
  • प्लास्टिक की थैलियों की जगह कपड़े या जूट के थैले अपनाएं।
  • घरों में वर्षा जल संचयन को प्रोत्साहित करें।
  • स्थानीय स्तर पर वृक्षारोपण और सफाई अभियानों में भाग लें।

पर्यावरण बचाना कोई एक दिन का काम नहीं, यह रोज़ की आदत बननी चाहिए।

“अगर आज नहीं जागे, तो कल के पास कोई हरियाली नहीं होगी।”

– संपादकीय टीम, खोज खबर छत्तीसगढ़
www.khojkhbarchhattisgarh.com

Khojkhbarchhattisgarh.com