खोज खबर छत्तीसगढ़ जिला ब्यूरो हरी देवांगन
जिला उप मुख्यालय चांपा,,,, छत्तीसगढ़ शासन भले ही इस तरह के आयोजन के दौरान ठोक के भाव में शिकायत पत्र, मांग, सुझाव पत्र,आने को अपना लोकप्रियता या फिर उपलब्धि साबित करता हो,लेकिन इस तरह के आयोजनों में इतनी तादात में पत्रों का आना इस बात को साबित करता है कि हमारे आसपास के सरकारी कार्यालयों में आखिरकार हो क्या रहा है, कि लोग अपने न्यायोचित जरूरत को,मांगों को, पूरा करने में असमर्थ क्यो हो रहे हैं,जो इस तरह के आयोजनों का वे बेसब्री से इंतजार करते हैं,और जब कभी भी इस तरह का आयोजन होता है तो वे शिविरों में उपस्थित होकर ठोक के भाव आवेदन एवं मांग पत्र जमा करने के लिए एड़ी चोटी का प्रयास करते हुए समस्त घर परिवार सहित पहुंच रहे हैं,इन सब का आखिर अर्थ क्या निकला जाए,,,,,?
यह एक विचारणीय विषय होना चाहिए जो जिम्मेदारों को कटघरे में खड़े करने के लिए काफी है,,,,और शासन पूछे जिला प्रशासन से कि आखिरकार आपके जिला क्षेत्र में हो क्या रहा है,,,
हमारे आसपास के अधिकांश कार्यालयों में अधिकारी अथवा कर्मचारी इस तरह से आम जनता के साथ बर्ताव करते हैं कि वह मनमर्जी के मालिक हैं और किसी भी किस्म के शिकायत,मांग,अथवा आवेदन को या की जमा नहीं लिया जाता या फिर लेकर बड़ी ही आसानी से कचरा के देर में फेंक दिया जाता है, या फिर सहाब के सामने फाइल बनाकर रख दिया जाता है और सहाब तो सहाब ठहरे,,, सहाब के पास समय आखिर होता कहां है,जो इस तरह के आवेदनों कख निराकरण करें,और यह इस बात का सबूत बनता है की जितनी तादात में समाधान शिविर अथवा सुशासन तिहार में जिस तरह से आवेदन जमा किए जा रहे हैं अथवा ऑनलाइन आवेदन दर्ज हो रहे हैं वह इसी बात का गवाही देता है कि सरकारी कार्यालयों में आखिरकार चल क्या रहा है,प्रश्न उठता है कि लोग जब नियमित रूप से मांग,शिकायत, सुझाव सहित अन्य आवेदन सरकारी कार्यालयों में जमा कर रहे हैं तो फिर सरकार को समस्या निवारण शिविर या सुशासन तिहार का आयोजन करने की जरूरत क्या है,इसका एक नहीं कई अर्थ निकाला जा सकता है, इससे साफ जाहिर है कि आम जनता के आवेदनों को समस्या के निवारण के लिए जिम्मेदार लोगों के द्वारा जमकर और बड़ी लापरवाही की जा रही है, इसी का नतीजा है कि जनता अपनी समस्या एवं मांग को लेकर इस तरह के शिविरों का इंतजार कर रहे हैं जहां बड़े,बुजुर्ग,महिलाएं अपने दुध पीते बच्चो सहित उमश भरी दोपहरी में बड़ी संख्या में पहुंचकर एड़ी चोटी का प्रयास करते हुए केवल आवेदन और आवेदन जमा करना चाहते हैं, फिर उन आवेदनों का समस्या समाधान हो या ना हो यह दिगर बात है, कम से कम आवेदन जमा कर आम जनता तसल्ली कर लेना चाहता है कि उसने अपनी समस्या एवं मांग से संबंधित तथ्य को लेकर शासन द्वारा निर्धारित समस्या निवारण शिविर या सुशासन तिहार में जाकर आवेदन जमा किया है और जनता द्वारा समझ लिया जाता है,,,,मै हर आवेदन जमा कर दे हो अब सरकार हा जानै मोर समस्या है वन पाही के नहीं बन पाही,,,,।
प्रसंग वस एक बात और स्पष्ट कर दें कि सरकार के लिए यह बड़ा आंकड़ा निकाल कर आया है कि आम जनता के द्वारा सुशासन तिहार में हजारों आवेदन जमा किया गया है, जो की बड़ी उपलब्धि समझी जा रही है,पर जिम्मेदार पदों में बैठे हुए लोगों के पास यह सूचने और समझने के लिए समय नहीं है कि आखिर जनता किस लिए इस तरह से आवेदन तिहार में इतना आवेदन जमा कर रहे हैं क्या उनकी समस्याओं का समाधान कार्यालय में नहीं हो पा रहा है, जो इस तरह से आवेदन जमा किया जा रहा है यह बड़ा प्रश्न कास शासन के समझ में आ जाए,,,,।