फुटपाथ पर रोजगार करने वाले गरीब व्यापारियों के हो रहे अन्य बर्दाश्त नहीं किया जाएगा उन्हे शकुशल रोजगार करने की उचित व्यवस्था करें नगर पालिका प्रशासन

तिल्दा-नेवरा से खोज खबर छत्तीसगढ़ विशेष रिपोर्ट
तिल्दा-नेवरा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा “हर हाथ को काम” देने की मंशा के तहत देशभर में छोटे-छोटे व्यवसायों को बढ़ावा देने की बात कही गई थी। भारत सरकार की सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (MSME) नीति के अंतर्गत लाखों बेरोज़गारों को स्वरोजगार से जोड़ने का आह्वान किया गया था — चाहे वो ठेला-खोमचा हो, सब्जी-भाजी का व्यापार हो या फुटपाथ पर दुकानदारी।
लेकिन जमीनी हकीकत इससे अलग नज़र आ रही है।
तिल्दा-नेवरा में फुटपाथ पर रोजगार करने वाले गरीब व्यापारियों पर नगर पालिका परिषद द्वारा की जा रही कार्रवाई को लेकर गहरी नाराज़गी व्यक्त की जा रही है। छोटी दुकानों, ठेलों और फुटपाथ पर बैठकर रोज़ी-रोटी कमाने वालों को परेशान किया जा रहा है, जबकि प्रभावशाली व बड़े व्यापारियों पर कोई कार्यवाही न होना सवाल खड़े करता है।
इस विषय पर पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष प्रत्याशी श्री संतोष कुमार यदु ने कड़ा ऐतराज जताया है। उन्होंने कहा:
> “जो लोग प्रतिदिन मेहनत कर दो वक्त की रोटी कमाते हैं, उन्हें सताना अमानवीय है। नगर पालिका को चाहिए कि वो इन्हें व्यवस्थित स्थान प्रदान करे, न कि उन्हें उजाड़े। यह गरीबों के साथ अन्याय है।”
उन्होंने यह भी कहा कि गरीब डरें नहीं —
> “मैं हमेशा गरीबों के साथ खड़ा हूं। जब तक न्याय नहीं मिलेगा, तब तक आवाज़ उठाता रहूंगा।”
स्थानीय जनता का भी कहना है कि यदि सरकार की योजनाएं सिर्फ कागजों तक सीमित रह जाएंगी और गरीबों को ही बार-बार हटाया जाएगा, तो प्रधानमंत्री का ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘हर हाथ को काम’ देने का सपना अधूरा ही रह जाएगा।
मांगें:
1. फुटपाथ दुकानदारों को व्यवसाय हेतु स्थायी व वैकल्पिक स्थान उपलब्ध कराया जाए।
2. नगर पालिका द्वारा प्रताड़ना बंद की जाए और संवाद से समाधान निकाला जाए।
3. प्रभावशाली लोगों की भी जांच हो, ताकि पक्षपात न हो।
यह सिर्फ व्यवसाय नहीं, यह इनका जीवन है। शासन-प्रशासन को गरीबों की भी चिंता करनी चाहिए।
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