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महाकुंभ हमारी सांस्कृतिक धरोहर है महाकुंभ में आस्था की डुबकी करोड़ों ने लगाई

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महाकुंभ हमारी सांस्कृतिक धरोहर है महाकुंभ में आस्था की डुबकी करोड़ों ने लगाई

 

विदेशी भी बोल उठे सनातन/भारत माता की  जय हो जय हो

गंगा यमुना सरस्वती की जय हो मां गंगे मैया की जय।

संवाददाता संतोष कुमार यदु 

प्रयागराज    कुभ देश में चार स्थानों प्रयागराज उज्जैन हरिद्वार नासिक पर आयोजन समय समय पर आयोजन होने वाला हर 12 वर्ष पर कुंभ मेले का आयोजन होता है। महाकुंभ तिथि के मुताबिक सदियों बाद पड़ता है। इस बार प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन भी महाआयोजन की भांति नजर आ रहा है। योगी सरकार ने हर तरीके से करीने से सजाया संवारा है। लाखों लोग मेले की व्यवस्था से जुड़े है। हजारों की संख्या में सुरक्षा की नैतिक जिम्मेदारी निभा रहे है। लाखों लोगों को परोक्ष या अपरोक्ष रूप से रोजगार भी मिला हुआ है। प्रथम स्नान के दिन यानी 13 जनवरी 2025 को 1 करोड़ 75 लाख श्रद्धालुओं ने संगम में आस्था की डुबकी लगाई थी। मकरसंक्रांति के दिन सुबह 9 बजे तक 60 लाख तो वही देर शाम शाम तक 3 करोड़ 50 लाख श्रद्धालुओं ने गंगा जमुना अदृश्य सरस्वती के पावन संगम तट पर स्नान किया था। कुंभ मेला शताब्दियों से अनवरत चली आ रही हमारी सांस्कृतिक यात्रा का पड़ाव है। अनुष्ठान है। हमारे आपके संजोए हुए संस्कार है। सरोकार भी है। सच तो यह है हमारी अनगिनत आध्यात्मिक और सामाजिक चेतनाओं जिनके बुते हम अपनी परंपराओं को बखूबी निभाते हुए अपने जीवन के दायित्वों को निर्वहन करते आए है। इस यात्रा में अथक प्रवाहमान में नदियों की गुर्राहट भरी आवाजें भी शामिल है। जिन्हें सुनने स्वयं कुंभ आता है। कुंभ को देखने और समझने के साथ उसके साथ कदमताल करने को शामिल होने करोड़ों लोग पूरी आस्था के साथ अद्भुत अप्रतिम अलौकिक संलिप्त हो जाता है। 12 वर्ष का इंतजार के साथ पवित्र नदियों के पवित्र तटों और नक्षत्रों के पुण्य तट नक्षत्रों की विशेष स्थिति विशेष स्नान पर्वों की धमक साधु संतों का जमावड़ा के साथ धर्म आकाश के सभी सितारे और उनका वैभव कल्पवासियों की आकांक्षाएं और पलक झपकते ही दुनिया के सबसे बड़े अस्थाई महानगर (इस बार जिले) का बसाया जाना हर किसी को दांतों तले अंगुली दबा लेने को विवश कर देता है। 12 वर्ष बाद आने वाले हर पड़ाव पर यह धार्मिक यात्रा पूरी तरह से लोकोत्सव में बदल जाती है। जिसके भारतीय संस्कृति कुलांचे भरती हुई अटखेलिया करती हुई पूरे विश्व को स्वयं में समाहित कर लेने की ताकत का अहसास कराती है। या यू कहा जाए इस लोकोत्सव में वसुधैव कुटुंबकम् की भारतीय अवधारणा सहजता से चरितार्थ होती है। वर्ष 2025 में लगने वाले महाकुंभ नगर में श्रद्धालुओं के नाना प्रकार के रूप और श्रद्धा आस्था से आह्लादित चेहरे हर किसी को आकर्षित कर रहे है। महाकुंभ के पहले स्नान पौष पूर्णिमा पर सोमवार (13जनवरी 2025) को संगम पर जनज्वार उमड़ पड़ा था। इस दिन अनुमान के मुताबिक 1 करोड़ 75 लाख श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाकर यह बता दिया था कि जैसे पूरा भारत एकाकार हो उठा हो। स्नान का क्रम बीते रविवार की रात से ही शुरू हो गया था, लेकिन सोमवार को तड़के 4:32 बजे पुण्यकाल शुरू होते ही हर हर गंगे के उद्घोष से गंगा यमुना के संगम सहित विभिन्न घाट गुंजायमान हो उठे थे। सूर्यदेव भी श्रद्धालुओं की पूरे मनोयोग से खिलखिलाकर अगवानी करने को संगम की धरा पर उतर आए हो। बीते रविवार की रात कड़कदार ठंडक के साथ कोहरा भी डेरा जमाए रहा था। सोमवार की सुबह खिलखिलाकर धूप निकल आई थी। योगी सरकार ने हेलीकाफ्टर से 20 कुंतल गुलाब की पंखुड़ियों की वर्षा कर श्रद्धालुओं का अभिनंदन किया था। विभिन्न घाट पर शीश ही शीश नजर आ रहे थे। भारी संख्या में विदेशी भी पूरी आस्था के साथ भक्तिभाव में दुबे नजर आ रहे थे। दूसरे स्नान को संगम क्षेत्र में ही श्रद्धालुओं ने डेरा डाल लिया था। साधु संतों के शिविर पूरी तरह भक्तों की अगवानी करते दिखाई दिए थे। श्रद्धालुओं को अलग अलग द्वार से प्रवेश दिया जा रहा था। श्रद्धालुओं को संगम तक करीब 8 किलोमीटर तक पैदल चलना पड़ा था। बसों को प्रयागराज के बाहर ही रोक दिया गया था। संगम सहित कुल 44 घाट बनाए गए थे। स्नान करने वालो को कुछ ही मिनट घाट पर रुकने दिया जा रहा था। गंगा पर 30 पैंटून पुल बनाए गए है। पैंटून पुलो पर दिन हो या शाम अथवा हो रात केवल और केवल सिर ही सिर दिखाई दे रहे थे। अधिकारीगण घाटों की मुस्तैद निगरानी में जुटे रहे थे। हालांकि खास बात यह कि पूरे आयोजन में स्वयंसेवी संस्थाएं भी मदद में जुटी देखी जा रही है। भीड़ में काफी लोग अपने अपनों से बिछड़ भी गए थे। खोयापाया केंद्र बिछड़े लोगों को मिलाने में पूरी व्यवस्था से जुटा था। मोबाइल नेटवर्क भी दोपहर बाद औंधे मुंह धड़ाम से गिर चुका था। अखाड़ों के साथ अन्न क्षेत्रों में दिन भर भंडारे चलते रहे थे। देर रात में भी स्नान ध्यान का कर्म अनवरत जारी रहा था। मेलाधिकारी विजय किरण आनंद द्वारा श्रद्धालुओं की हर सुख सुविधा का ध्यान रख रहे थे। अमृत स्नान के लिए पुलिस ने 7 सुरक्षा चक्रीय व्यवस्था की थी। रेलवे स्टेशन से गंतव्य स्थल तक श्रद्धालुओं को लाने ले जाने के लिए सार्वजनिक परिवहन की व्यवस्था की गई थी। इंटरनेट मीडिया प्लेटफॉर्म पर पुलिस पैनी नजर बनाकर रखे हुए है। मेला परिक्षेत्र में सुरक्षा के अभूतपूर्व इंतजाम किए गए है

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