Breaking News

पत्रकार मुकेश चंद्राकर की निर्मम हत्या और उसके बाद उनकी अस्थियों के साथ हुई इस तरह की छेड़छाड़ न केवल मानवीय संवेदनाओं का अपमान है, बल्कि यह समाज और कानून व्यवस्था के लिए भी एक चुनौती

Khojkhbarchhattisgarh.com

*बीजापुर।* पत्रकार मुकेश चंद्राकर की निर्मम हत्या और उसके बाद उनकी अस्थियों के साथ हुई इस तरह की छेड़छाड़ न केवल मानवीय संवेदनाओं का अपमान है, बल्कि यह समाज और कानून व्यवस्था के लिए भी एक चुनौती है।

संवाददाता संतोष कुमार यदु

मुकेश चंद्राकर ने सड़क निर्माण में हो रहे भ्रष्टाचार को उजागर किया था, जो उनके लिए घातक साबित हुआ। यह घटना इस बात को रेखांकित करती है कि ईमानदारी और सच्चाई के लिए लड़ने वाले पत्रकारों को किस हद तक खतरा झेलना पड़ता है।

 

*मामले की गहराई से जांच और न्याय की आवश्यकता :* परिजनों द्वारा बीजापुर एसपी से की गई शिकायत इस घटना की गंभीरता को रेखांकित करती है। पुलिस को न केवल हत्यारों को सख्त सजा दिलानी चाहिए, बल्कि अस्थियों के साथ हुई इस अपमानजनक घटना के लिए भी जिम्मेदार लोगों को पकड़ना चाहिए।

 

*पत्रकारों की सुरक्षा का सवाल :*

इस घटना से यह स्पष्ट होता है कि ईमानदार पत्रकारों को सुरक्षा देने में व्यवस्था असफल हो रही है। यह जरूरी है कि सरकार और प्रशासन ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई करे और पत्रकारों को सुरक्षित माहौल प्रदान करे।

 

*इस अमानवीय कृत्य के लिए दोषियों को जल्द से जल्द सजा मिलनी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों और न्याय व्यवस्था पर लोगों का विश्वास बना रहे।*

About Santosh Kumar

Check Also

🌿 पर्यावरण नहीं बचेगा तो हम भी नहीं बचेंगे 🌏

(विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून 2025 पर विशेष संपादकीय)

हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। यह दिन महज एक औपचारिकता नहीं, बल्कि चेतावनी है — हमारी धरती, हमारी प्रकृति अब और ज्यादा बोझ नहीं सह सकती। इस वर्ष की थीम है “प्लास्टिक प्रदूषण पर विजय – एक साथ मिलकर समाधान”, जो हमें उस संकट की याद दिलाती है जो हमारे रोज़मर्रा के जीवन का हिस्सा बन चुकी प्लास्टिक से जुड़ा है।

छत्तीसगढ़ जैसे हरित राज्य में जहां वनों की भरमार है, आदिवासी परंपराएं प्रकृति से जुड़ी हैं और नदियां जीवनदायिनी बनकर बहती हैं, वहां भी हम देख रहे हैं कि नदियां सिकुड़ रही हैं, जंगल उजड़ रहे हैं और हवा जहरीली होती जा रही है। विकास की दौड़ में हमने पर्यावरण की कीमत चुकाई है — और अब वह मूल्य बहुत महंगा हो चला है।

पर्यावरण की दुर्दशा के मुख्य कारण:

  • पेड़ों का अंधाधुंध कटाव
  • अवैध खनन और औद्योगिक प्रदूषण
  • प्लास्टिक और पॉलीथीन का अत्यधिक प्रयोग
  • जल स्रोतों का दोहन और शहरीकरण

“खोज खबर छत्तीसगढ़” के माध्यम से हम सभी पाठकों से अपील करते हैं:

  • कम से कम एक पौधा लगाएं और उसकी देखभाल करें।
  • प्लास्टिक की थैलियों की जगह कपड़े या जूट के थैले अपनाएं।
  • घरों में वर्षा जल संचयन को प्रोत्साहित करें।
  • स्थानीय स्तर पर वृक्षारोपण और सफाई अभियानों में भाग लें।

पर्यावरण बचाना कोई एक दिन का काम नहीं, यह रोज़ की आदत बननी चाहिए।

“अगर आज नहीं जागे, तो कल के पास कोई हरियाली नहीं होगी।”

– संपादकीय टीम, खोज खबर छत्तीसगढ़
www.khojkhbarchhattisgarh.com

Khojkhbarchhattisgarh.com