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पत्रकार मुकेश चंद्राकर की निर्मम हत्या और उसके बाद उनकी अस्थियों के साथ हुई इस तरह की छेड़छाड़ न केवल मानवीय संवेदनाओं का अपमान है, बल्कि यह समाज और कानून व्यवस्था के लिए भी एक चुनौती

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*बीजापुर।* पत्रकार मुकेश चंद्राकर की निर्मम हत्या और उसके बाद उनकी अस्थियों के साथ हुई इस तरह की छेड़छाड़ न केवल मानवीय संवेदनाओं का अपमान है, बल्कि यह समाज और कानून व्यवस्था के लिए भी एक चुनौती है।

संवाददाता संतोष कुमार यदु

मुकेश चंद्राकर ने सड़क निर्माण में हो रहे भ्रष्टाचार को उजागर किया था, जो उनके लिए घातक साबित हुआ। यह घटना इस बात को रेखांकित करती है कि ईमानदारी और सच्चाई के लिए लड़ने वाले पत्रकारों को किस हद तक खतरा झेलना पड़ता है।

 

*मामले की गहराई से जांच और न्याय की आवश्यकता :* परिजनों द्वारा बीजापुर एसपी से की गई शिकायत इस घटना की गंभीरता को रेखांकित करती है। पुलिस को न केवल हत्यारों को सख्त सजा दिलानी चाहिए, बल्कि अस्थियों के साथ हुई इस अपमानजनक घटना के लिए भी जिम्मेदार लोगों को पकड़ना चाहिए।

 

*पत्रकारों की सुरक्षा का सवाल :*

इस घटना से यह स्पष्ट होता है कि ईमानदार पत्रकारों को सुरक्षा देने में व्यवस्था असफल हो रही है। यह जरूरी है कि सरकार और प्रशासन ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई करे और पत्रकारों को सुरक्षित माहौल प्रदान करे।

 

*इस अमानवीय कृत्य के लिए दोषियों को जल्द से जल्द सजा मिलनी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों और न्याय व्यवस्था पर लोगों का विश्वास बना रहे।*

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