
जिला उप मुख्यालय चांपा,,,, कुछ साल पहले विद्युत मंडल के द्वारा विद्युत मीटर के 1 इंच भी इधर से उधर खिसक जाने पर उपभोक्ता के लिए जैसे सामत आ जाता था,और न जाने क्या-क्या आरोप लगाकर कार्रवाई करने के लिए व्याकुल नजर आते थे,और यदि नियमानुसार विद्युत मीटर को आगे पीछे खिसकना हो अथवा शिफ्ट करना होता तो इसके लिए मंडल कार्यालय में जाकर लंबी चौड़ी प्रोसीजर (नियमों का मकड़जाल) अपनाते हुए भारी भरकम शुल्क भी जमा करना पड़ता था,पर आज देखो किस तरह से विद्युत मंडल के द्वारा मीटर का संधारण किया जा रहा है,वह तमाम आश्चर्य से भरा हुआ है,अधिकांश घरों एवं दुकानों के बाहर जिस तरह से विद्युत मीटर को यहां वहां फिट किया गया है, लटका दिया गया है,या फिर और न जाने किस किस तरह से विद्युत मीटर के ऊपर अत्याचार हो रहा है कहें तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी,ऐसी हालत में विद्युत मीटर को किसी भी तरह का यदि नुकसान होता है तो इसकी सारी जिम्मेदारी अंततः उपभोक्ता के सर माथे पर होगा,बड़ी लापरवाही मंडल के द्वारा होती है पर सारा भुगतान आखिर उपभोक्ता के ऊपर क्यों सवाल उठना लाजिमी है,क्या इसी तरह से छत्तीसगढ़ विद्युत अधिनियम में विद्युत मीटर को संधारित किए जाने का उल्लेख मिलता है, इस पर यदि मंडल कोआरटीआई के तहत जानकारी हासिल किया जाए तो सारे हकीकत सामने आकर विद्युत मंडल अधिकारियों के लिए परेशानी का सबक बन सकता है,मंडल के कर्ताधर्ता कुछ भी करना चाहे तो वह बड़े ही आसानी से कर सकते हैं,और सब कुछ जायज समझा जाता है,और यही यदि उपभोक्ताओं के द्वारा थोड़ी सी भी कहीं कुछ परिवर्तन किया जाता है तो अवैधानिक मानकर कार्रवाई की तलवार लटका दी जाती है, अक्सर देखा जा रहा है अधिकांश विद्युत संबंधी कार्य ठेका कर्मचारियों के द्वारा संपन्न किया जा रहा है,और जब ठेका कर्मचारी फील्ड में पहुंचकर अपना कार्य करते हैं तो इनका तेवर सातवें आसमान पर पहुंचा होता है, फील्ड में बिना सुपरविजन अधिकारी के देखरेख में उनके द्वारा कार्य किया जा रहा है,और यह कार्य तमाम किस्म के अनियमितताओं से भरा हुआ है, आखिरकार विद्युत मंडल के अधिकारी फील्ड में आकर क्यों नहीं देख रहे होते कि आखिरकार ठेके के कर्मचारियों के द्वारा किस तरह से और कितना बेहतर ढंग से कार्य किया जा रहा है,क्या तमाम किस्म के परेशानियां केवल विद्युत उपभोक्ताओं के छाती पर बोझ की तरह छोड़ दिया जाएगा,क्यों नहीं मंडल के द्वारा इस तरह के कार्यों का निगरानी किया जाता है,वैसे तो मंडल विद्युत विद्युत बिल वसूलने के नाम पर किसी भी व्यवस्था को नजर ने नहीं करता है, प्रत्येक माह वसूली बनाम विद्युत बिल जारी कर कैसे भी करके उपभोक्ताओं के जेब से बिजली की बिल वसूल कर लिया जाता है,लेकिन जब बात आती है व्यवस्था बनाने का तो विद्युत मंडल के छाती पर सांप लौटने लगता है,,,।
प्रसंग वश यहां पर इतना बस कहा जा सकता है कि आखिरकार विद्युत अधिनियम के अंतर्गत क्या इसी तरह से विद्युत मीटर का मंडल के द्वारा रखरखाव (संधारित) करने का व्याख्या किया गया है,,,।