
खोज खबर छत्तीसगढ़ ब्यूरो चीफ हरि देवांगन
रायपुर छत्तीसगढ़ : प्रदेश के चुनिंदा स्थानो पर ऑल इंडिया एम्स बीएससी पैरामेडिकल कोर्स जैसे अति महत्वपूर्ण परीक्षा में (all India AIIMS BSc paramedical course)प्रशासनिक वादे इरादों एवं कथनी और करनी में कितना बड़ा अंतर हो सकता है, तनिक अनुमान लगाइए ज्यादा से ज्यादा थोड़ा से या ज्यादा से ज्यादा थोड़ा अधिक,पर यहां पर तो प्रशासनिक अधिकारियों ने लापरवाही और अव्यवस्था की सारी हदें ही पार कर दी, और महत्वपूर्ण परीक्षा का केंद्र बिंदु शहर के अंदर स्थापित करने के बजाय शहर से लगभग 30 किलोमीटर दूर परीक्षा केंद्र की स्थापना कर लापरवाही का जिस तरह से ज्वलंत उदाहरण प्रस्तुत किया गया है इसकी जितनी भी निंदा की जाए कम है,हमारे देश के नैनिहालों को सुविधा प्रदान करने की बात हर स्तर पर की जाती है,लेकिन जब बात धरातलीय सच्चाई की आती है तो यहां पर उसकी अंदाजा लगाकर सच्चाई को सहज ही समझा और अनुमान लगाया जा सकता है,सुविधा देने के नाम पर मासूम विद्यार्थियों को उज्जवल भविष्य की अग्नि परीक्षा देने के लिए रायपुर शहर से बाहर और इतना बाहर की शायद हम में से कोई इस बात का अंदाजा भी न लगाए पाए,तो चलिए यहां पर बताते हैं जिम्मेदार अधिकारियों के द्वारा विद्यार्थियों को परीक्षा देने के लिए रायपुर के घड़ी चौक से लगभग 30 किलोमीटर दूर धकेल दिया गया,वाह जी इसे कहते हैं उज्जवल भारत का डिजिटल भारत का अग्नि परीक्षा देते देश के विद्यार्थी,,,,।
गौरतलब है की जिस तरह से महत्वपूर्ण परीक्षा को विद्यार्थियों ने अग्नि परीक्षा के रूप में अनुभव किया होगा इसका उदाहरण तो विश्व प्रसिद्ध ऑक्सफोर्ड या फिर हार्वर्ड यूनिवर्सिटी भी प्रस्तुत नहीं कर पाया होगा जो यहां पर इस परीक्षा में बतौर उदाहरण हमारे सामने हैं,राज्य अथवा केंद्र सरकार का यह दायित्व बनता है कि परीक्षा चाहे छोटा हो या बड़ा उसे व्यावहारिक और सुविधाजनक बनाने के लिए परीक्षा केंद्र को तमाम व्यवस्था एवं सुविधा के आसपास स्थापित किया जाना चाहिए,ताकि विद्यार्थियों सहित परीजनो को किसी भी तरह को दिक्कतों की सामना न करना पड़े,यह महत्वपूर्ण मुद्दा है और इस मुद्दे पर किसी भी प्रकार की लापरवाही की कोई गुंजाइश होनी भी नहीं चाहिए,यदि विद्यार्थियों को सुविधा प्रदान की जाएगी तो वे परीक्षा का बेहतर ढंग से सामना कर सकते हैं,परीक्षा केंद्र में पहुंचने के लिए यदि विद्यार्थियों सहित अभिभावकों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा तो यह किसी पक्ष के लिए भी बेहतर साबित नहीं हो सकता है, जाहिर सी बात है पूरे प्रदेश स्तर पर यह परीक्षा गिनती के केंदों में आयोजित किया जा रहा है,और इसका सामना करने के लिए दूर दराज ग्रामीण क्षेत्र से निःसंदेह विद्यार्थी और अभिभावक आए होंगे और ऐसे में मुख्य शहर से परीक्षा केंद्र को दूर स्थापित करने पर सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि विद्यार्थी को कितना अधिक परेशानियों का सामना करना पड़ा होगा, यहां दूर ग्रामीण क्षेत्र में परीक्षा केंद्र का स्थापना तमाम अव्यवस्था को सामने ला देता है,फिर ऐसे में कैसे कोई विद्यार्थी इस परीक्षा को सहजता के साथ सफलतापूर्वक संपन्न कर सकता है, बताते चलें कि शहर के अंदर इस तरह कि परीक्षा आयोजित करने के लिए छोटे-बड़े कई केंद्र पहले से है,जहां अनेक छोटे बड़े परीक्षाएं आयोजित की जा रही है,वहां पर इस परीक्षा को आयोजित की जा सकती थी लेकिन प्रशासनिक उच्च पदों पर बैठे हुए जिम्मेदार लोगों के द्वारा इस पर बिना किसी प्रकार का गहन चिंतन मनन किए बिना ही रायपुर शहर के घड़ी चौक से लगभग 30 किलोमीटर दूर इस परीक्षा केंद्र को स्थापित कर जो उदाहरण प्रस्तुत किया गया है वह विश्व के बड़े से बड़े विश्व विद्यालयों के द्वारा भी इतनी बड़ी लापरवाही नहीं की जाती होगी जो यहां पर की गई है,
,,,,,जिम्मेदार पहुंचे होंगे सरकारी सुविधा में और विद्यार्थी एवं परिजनों का क्या,,,, इस बात पर कोई दो राय नहीं है कि इस परीक्षा को संपन्न कराने के लिए सरकारी सुविधाओं का उपयोग करते हुए जिम्मेदार अधिकारी एवं व्यवस्थापको को सरकारी सुविधा का लुफ्त उठाते हुए परीक्षा केंद्र में बड़ी परेशानियों से पहुंचे होंगे,तो फिर अभिभावक एवं परीक्षार्थियों कि असहजता एवं असुविधा का अनुमान लगाइए उन्हें किन हालातो का सामना करते हुए शहर से इतना दूर खोजने ढूंढते परीक्षा केंद्र को किस तरह से पहुंचे होंगे, जहां परीक्षार्थी पिछले कई महीनो से इस परीक्षा की तैयारी को लेकर कड़े संघर्ष की दौर का सामना करते रहे होंगे वहीं अब परीक्षा केंद्र में जिस तरह से परेशानी उठाते वे पहुंचे होंगे उसे भी पाठक जरा अनुमान लगाए, क्या आज डिजिलाइजेशन युग में इस तरह से महत्वपूर्ण परीक्षा के लिए अभिभावक अथवा परीक्षार्थियों को घोर अव्यवस्थाओं के बीच ऐसी अग्नि परीक्षा देने की जरूरत है,,,,,?
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