जोहार छत्तीसगढ़ पार्टी छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना के पदाधिकारीयों ने किया स्वागत
आज रायपुर से ग्राम सुंगेरा के लिए निकलेंगी विजय रैली ग्रामीणो ने दिखाई एकजुटता

तिल्दा-नेवरा (रायपुर): ग्राम सुंगेरा के ग्रामीणों ने अपनी जीवनदायिनी खारून नदी के पानी को बचाने के लिए संघर्ष छेड़ दिया है। यह नदी न केवल ग्रामीणों की खेती, पशुपालन और दैनिक जरूरतों का स्रोत है, बल्कि उनके लिए मां समान पूजनीय भी है। मगर इस नदी पर महेंद्र स्पंज कंपनी की नजर पड़ते ही विवाद खड़ा हो गया।
कंपनी ने गांव के बाहर सरकारी जमीन पर अपने उद्योग की स्थापना की और अब पानी की आपूर्ति के लिए खारून नदी से पानी लेने की कोशिश कर रही है। ग्रामीणों का आरोप है कि कंपनी को इस संबंध में न तो ग्राम सभा की अनुमति (NOC) मिली है और न ही जनसहमति।
गांव वालों ने इसके खिलाफ तहसीलदार, एसडीएम और कलेक्टर तक ज्ञापन दिए। यहां तक कि वे स्थानीय विधायक व प्रदेश के राजस्व मंत्री टंक राम वर्मा से भी मिले, लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि मंत्री ने कोई सहयोग नहीं किया और यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि “यह ऊपर से आया हुआ आदेश है।”
जब ग्रामीणों ने कंपनी के पानी ले जाने का विरोध किया तो पुलिस के साथ उनकी झड़प हो गई। इस आंदोलन को राजनीतिक रंग देते हुए पुलिस ने गांव के 8 लोगों को जेल भेज दिया जिनमें ग्राम पंचायत के वर्तमान सरपंच तरण दास साहू, दीपक निषाद, बिसंभर यादव, अश्वनी निषाद, राजेश निषाद, सुरेंद्र पठारी, और तारकेश्वर साहू जैसे नाम शामिल हैं।
‘खारून दाई आज़ादी पदयात्रा’ बनी जनआंदोलन की शुरुआत
गांव के लोगों ने इसके बाद छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना और जोहार छत्तीसगढ़ पार्टी का सहयोग लिया और ‘खारून दाई आज़ादी पदयात्रा’ के नाम से आंदोलन को प्रदेश स्तर पर उठाया। इसके जवाब में प्रशासन ने तीन और ग्रामीणों को जेल भेज दिया, जिनमें एक महिला भी शामिल हैं।
जन प्रतिनिधि मौन, जनता संघर्षरत
प्रदेश में लोकतांत्रिक मूल्यों को खतरे में बताते हुए जोहार छत्तीसगढ़ पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अमित बघेल ने कहा –
> “सरकार तानाशाही की राह पर चल रही है। छत्तीसगढ़ में जंगल के बाद अब पानी भी लूटा जा रहा है। सरकार बताए कि वह छत्तीसगढ़ का विकास चाहती है या बाहरी उद्योगपतियों का?”
रायपुर ग्रामीण के जिला अध्यक्ष योगेश साहू ने भी बयान दिया –
> “सरकार यह बताना चाहती है कि अगर कोई अपनी आवाज उठाएगा तो उसे जेल में डाल दिया जाएगा। लेकिन अब जनता के पास एक क्षेत्रीय पार्टी है जो उनकी आवाज बुलंद करेगी।”
ग्रामीणों का कहना है कि चाहे जो भी हो जाए, वे महेंद्र स्पंज कंपनी को पानी नहीं लेने देंगे। ग्रामीणों ने कसम खाई है कि जब तक सरकार ग्राम सभा की अनुमति नहीं लेती, तब तक गांव की नदी एक बूंद भी पानी नहीं देगी।
अब सवाल सरकार से है…
ग्रामीणों और जन संगठनों ने सवाल उठाया है कि –
क्या सरकार ग्राम पंचायत की अनुमति के बिना कंपनियों को संसाधनों का दोहन करने दे सकती है?
क्या आम जनता की आवाज उठाने पर जेल भेजना लोकतंत्र है?
अब ग्रामीण अकेले नहीं हैं। छत्तीसगढ़ की मिट्टी से उपजी आवाज़ उनके साथ है — और यह आवाज़ अब पूरे प्रदेश में गूंज रही है।
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