अल्ट्राटेक सीमेंट बैकुंठ में मजदूरों की हड़ताल जारी — उत्पादन ठप, परिवार सहित सड़कों पर उतरे
श्रमिक, बोले – “मांग पूरी नहीं हुई तो दीवाली पर भी नहीं जलेगा दिया”

तिल्दा-नेवरा, 18 अक्टूबर 2025
बैकुंठ स्थित अल्ट्राटेक सीमेंट वर्क्स (पूर्व में सेंचुरी सीमेंट) में श्रमिकों की हड़ताल 11वें दिन भी जारी रही। मजदूरों के चार सूत्रीय मांगों को लेकर संयुक्त ट्रेड यूनियन के नेतृत्व में निकाली गई “श्रमिक अधिकार रैली” में सैकड़ों मजदूर अपने परिवारजनों के साथ शामिल हुए।
रैली संयंत्र के मुख्य द्वार से शुरू होकर 8 किलोमीटर पैदल चलकर एसडीएम कार्यालय तिल्दा-नेवरा पहुंची, जहां मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा गया। ज्ञापन में प्रबंधन के तानाशाही रवैये की निंदा करते हुए मांग की गई कि –
निलंबित श्रमिक प्रतिनिधियों को निःशर्त वापस लिया जाए
श्रमिकों पर की गई एफआईआर वापस ली जाए
रोका गया बोनस तत्काल दिया जाए
तथा 150 हटाए गए मजदूरों को पुनः काम पर रखा जाए।

संयुक्त ट्रेड यूनियन के महासचिव कमलेश वर्मा ने कहा कि प्रबंधन जानबूझकर अडियल रवैया अपनाकर श्रमिकों का शोषण कर रहा है। मजदूरों को झूठे आरोप लगाकर हटाया जा रहा है और बाहर से नए मजदूर बुलाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा —
“जहां से हमें रोजी-रोटी मिलती है, वही घर अब हमारे विरोध में हो गया है। अगर प्रबंधन बात नहीं करेगा, तो मजदूर अपने घरों में दीवाली नहीं, अंधेरा मनाएंगे।”
🔸 “55 साल पुरानी सेंचुरी कंपनी आज मजदूरों की पुकार से गूंज रही है”
बैकुंठ सीमेंट संयंत्र की स्थापना 55 वर्ष पूर्व सेंचुरी सीमेंट के रूप में हुई थी, जिसे पिछले एक दशक से आदित्य बिड़ला समूह की अल्ट्राटेक सीमेंट लिमिटेड संचालित कर रही है।
श्रमिक नेता शंकर सिंह निर्मलकर ने कहा —
“हमने कई बार शासन-प्रशासन को शिकायत दी, यहां तक कि मुख्यमंत्री सचिवालय में भी आवेदन किया, पर कोई समाधान नहीं निकला। अब मजदूर बारह दिनों से सड़कों पर हैं, लेकिन प्रबंधन वार्ता के लिए तैयार नहीं।”

श्रमिक नेता पवन ठाकुर ने कहा कि 21 अक्टूबर को हड़ताली मजदूर तिल्दा से पैदल रैली निकालकर मंत्री टंकराम वर्मा के सरकारी आवास के बाहर दीया जलाएंगे, ताकि सरकार को मजदूरों की पीड़ा समझ में आए।
उन्होंने कहा —
“अगर हमारी मांगे नहीं मानी गईं, तो प्रधानमंत्री के रायपुर आगमन पर भी विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।”
🔸 स्थानीय प्रतिनिधियों और संगठनों का बढ़ता समर्थन
हड़ताल को अब आसपास के गांवों से जनप्रतिनिधियों, पंच-सरपंचों, जनपद और जिला पंचायत सदस्यों का खुला समर्थन मिल रहा है।
कांग्रेस नेता शैलेश नितिन त्रिवेदी लगातार धरना स्थल पहुंचकर मजदूरों के साथ बैठे हुए हैं।
वहीं छत्तीसगढ़ क्रांति सेना प्रमुख अमित बघेल ने भी मजदूरों को समर्थन देते हुए कहा —
“यह सिर्फ मजदूरों की नहीं, बल्कि न्याय की लड़ाई है।”
🔸 प्रबंधन का पक्ष
प्रबंधन का कहना है कि “किसी मजदूर को जबरन नहीं निकाला गया, केवल अस्थायी (टेंपरेरी) कर्मियों को नोटिस देकर हटाया गया है।”
हालांकि मजदूर संगठनों का आरोप है कि यह “प्रबंधन की साजिश” है ताकि पुराने मजदूरों को हटाकर ठेकेदारी प्रथा लागू की जा सके।
🔸 अंतिम सवाल — किसके घर जलेगा दीया?
अब सवाल उठता है —
क्या गरीब मजदूरों के घरों में इस दीपावली अंधेरा रहेगा और उद्योगपतियों के महलों में दीपक व फुलझड़ियां जलेंगी?
सैकड़ों मजदूरों के खून-पसीने से खड़ी यह सेंचुरी कंपनी आज उन ही मजदूरों की पुकार से गूंज रही है।
मजदूरों का संकल्प गूंज रहा है —
“इस बार कारखान के रोशनी में नहीं, हमारे अधिकारों की अंधेरा में जलेगा दीया!”

📰 रिपोर्ट: संतोष कुमार यदु, खोज खबर छत्तीसगढ़
📍 तिल्दा-नेवरा से विशेष संवाददाता की रिपोर्ट
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