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स्व. रामकुमार बघेल जी ने अपने शरीर दान की घोषणा की थी। हजारों शोकाकुल जनता के अंतिम दर्शन के पश्चात पार्थिव देह को एम्स रायपुर को सौंप दिया गया

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स्वं श्री रामकुमार बघेल का देहावसान
अमित बघेल को हुआ पितृशोक
ग्राम पथरी के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के परिवार के वंशज, छत्तीसढ़िया क्रान्ति सेना के संस्थापक सदस्य एवं जोहार छत्तीसगढ़ पार्टी के केन्द्रीय अध्यक्ष अमित बघेल जी के पिता दाऊ रामकुमार बघेल जी का देहावसान आज दिनांक 02/05/25 दिन गुरुवार, 3:40 को रायपुर के निजी अस्पताल में हुआ । स्वर्गीय रामकुमार बघेल जी प्रसिद्ध स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं श्रमिक नेता दाऊ जगन्नाथ बघेल जी के सुपुत्र एवं छत्तीसगढ़ राज्य के स्वप्नदृष्टा डा. खूबचन्द बघेल जी के भतीजे थे ।
85 वर्षीय स्व. रामकुमार बघेल बनारस विश्वविद्यालय से उच्च तकनीकी शिक्षित थे एवं बघेल परिवार की समृद्ध परंपरा अनुसार अपने पुत्र पुत्रियों को भी उच्च शिक्षा के लिये प्रेरित किया । उनके पारिवारिक संस्कारों के तहत अन्याय से लड़ने-भिड़ने की परिपाटी में ही आज उनके पुत्र अमित बघेल छत्तीसढ़िया क्रान्ति सेना नामक आंदोलन का सफलतापूर्वक नेतृत्व कर रहे हैं ।
समाज में एक आदर्श स्थापित करते हुए स्व. रामकुमार बघेल जी ने अपने शरीर दान की घोषणा की थी। हजारों शोकाकुल जनता के अंतिम दर्शन के पश्चात पार्थिव देह को एम्स रायपुर को सौंप दिया गया । इस शोकपूर्ण किंतु प्रेरणादायक माहौल में छत्तीसढ़िया क्रान्ति सेना , जोहार छत्तीसगढ़ पार्टी , गणमान्य व्यक्तिगण, सामाजिक बंधुगण बड़ी संख्या में अंतिम दर्शन के लिये उपस्थित हुए ।

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🌿 पर्यावरण नहीं बचेगा तो हम भी नहीं बचेंगे 🌏

(विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून 2025 पर विशेष संपादकीय)

हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। यह दिन महज एक औपचारिकता नहीं, बल्कि चेतावनी है — हमारी धरती, हमारी प्रकृति अब और ज्यादा बोझ नहीं सह सकती। इस वर्ष की थीम है “प्लास्टिक प्रदूषण पर विजय – एक साथ मिलकर समाधान”, जो हमें उस संकट की याद दिलाती है जो हमारे रोज़मर्रा के जीवन का हिस्सा बन चुकी प्लास्टिक से जुड़ा है।

छत्तीसगढ़ जैसे हरित राज्य में जहां वनों की भरमार है, आदिवासी परंपराएं प्रकृति से जुड़ी हैं और नदियां जीवनदायिनी बनकर बहती हैं, वहां भी हम देख रहे हैं कि नदियां सिकुड़ रही हैं, जंगल उजड़ रहे हैं और हवा जहरीली होती जा रही है। विकास की दौड़ में हमने पर्यावरण की कीमत चुकाई है — और अब वह मूल्य बहुत महंगा हो चला है।

पर्यावरण की दुर्दशा के मुख्य कारण:

  • पेड़ों का अंधाधुंध कटाव
  • अवैध खनन और औद्योगिक प्रदूषण
  • प्लास्टिक और पॉलीथीन का अत्यधिक प्रयोग
  • जल स्रोतों का दोहन और शहरीकरण

“खोज खबर छत्तीसगढ़” के माध्यम से हम सभी पाठकों से अपील करते हैं:

  • कम से कम एक पौधा लगाएं और उसकी देखभाल करें।
  • प्लास्टिक की थैलियों की जगह कपड़े या जूट के थैले अपनाएं।
  • घरों में वर्षा जल संचयन को प्रोत्साहित करें।
  • स्थानीय स्तर पर वृक्षारोपण और सफाई अभियानों में भाग लें।

पर्यावरण बचाना कोई एक दिन का काम नहीं, यह रोज़ की आदत बननी चाहिए।

“अगर आज नहीं जागे, तो कल के पास कोई हरियाली नहीं होगी।”

– संपादकीय टीम, खोज खबर छत्तीसगढ़
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