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राष्ट्रीय राजमार्ग को जोड़ने वाला चौक राहगीरों के लिए कहता हैआ बैल मुझे मार,,,मामला ग्रामकुरदा का है

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मुख्य पहुंच मार्ग चौक का यह हाल तो गांव अंदर क्या होगा,,,,?

खोज खबर छत्तीसगढ़ जिला ब्यूरो हरि देवांगन

जांजगीर-चांपा :  जिला उपमुख्यालयचांपा,,,,पंचायती राज अधिनियम को साकार करने के लिए छत्तीसगढ़ शासन के द्वारा ग्राम पंचायत क्षेत्रों को पर्याप्त धन भेजा जा रहा है,और इस धन का अधिकांश ग्राम पंचायत में किस तरह से उपयोग, सदुपयोग किया जा रहा है,इसकी वांगी ग्राम कुरदा के बाहर चौक चौराहों में जिस तरह से देखने को मिल रहा है,तो फिर अंदाजा लगाइए ग्राम विकास के नाम पर ग्राम कुरदा के अंदर क्या कुछ नहीं हो रहा होगा,ग्राम के बाहर पहुंच मार्ग में व्यवस्था बनाने का यदि सरेआम यह हाल है तो फिर ग्रामीण क्षेत्र में छिपे छुपाए रूप से ग्राम के सिरमौर,कर्ताधर्ता क्या कुछ नहीं करते होंगे,यह यहां कहने वाली बात नहीं है, जिस तरह से ग्राम के बाहर राहगीरों की जान को जोखिम में डाल कर ग्राम सरपंच एवं पंचों के द्वारा घोर लापरवाही की जा रही है, इसका जीता जागता सबूत और क्या भला हो सकता है, ग्राम के विकास को अपने सर माथे पर लेने वाले सरपंच एवं पंचों के द्वारा जिस तरह से लोगों का जान जोखिम में डाला जा रहा है उसे तो बड़ी ही आसानी से समझा जा सकता,की ग्राम पंचायत अधिनियम के तहत ग्रामीण विकास की अवधारणा को यहां के कण धार किस तरह से सकार कर रहे हैं, बताते चले की यह क्षेत्र ग्राम कुरदा का प्रवेश द्वार है और यही चांपा होते हुए कोरबा मुख्य मार्ग जाने के लिए पहुंचे एवं संपर्क मार्ग है,और इस महत्वपूर्ण चौक में किस तरह से आवारा और घुमंतू जानवरों का डेरा बसेरा है इसे फोटो में बड़ी आसानी से देखा जा सकता है,और यह हल केवल आज का नहीं है पिछले कई सालों से इस महत्वपूर्ण चौक में इन आवारा पशुओं का डेरा लगातार देखा जा रहा है जिसे आज पर्यंत ग्राम विकास के लिए ढिंढोरा पीटने वाले इन लोगों के द्वारा कोई कार्यवाही नहीं करने के चलते यह चौक दिन-ब-दिन जानलेवा और खतरनाक बनता चला जा रहा है, लेकिन जिम्मेदारों के द्वारा किसी भी प्रकार का कार्रवाई नहीं करने के कारू से मवेशियों के मालिकों द्वारा अपने पशुओं को आवारा छोड़ देने का नतीजा साफ यहां झलक रहा है, इस चौक के आसपास ग्राम कुरदा निवासियों ने संवाददाता को बताया कि यहां पर दोपहर से ही जानवरों का जमवाड़ा प्रारंभ हो जाता है जो रात गहराते स्थिति और ज्यादा भयावाह हो जाता है जो सुबह होते ही धीरे-धीरे यह घुमंतू गाय यहां वहां बिखर जाते हैं,पर इस दौरान राहगीरों को बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ता है, एक तो इस चौक में घोर अंधेरा पसरा हुआ होता है ऐसी स्थिति में भारी भरकम वहां से लेकर दो पहिया वाहन चालकों को अपनी जान हथेली में लेकर चलना यहां मजबूरी बन जाता है, थोड़ी सी भी किसी के द्वारा लापरवाही होने पर चालक सहित एवं बेजुबान जानवर दुर्घटना के शिकार लगातार हो रहे हैं, इसके बाद भी ग्राम पंचायत विकास के नाम ढिंढोरा पीटने वाले ग्राम प्रतिनिधियों को सुध नहीं आ रहा है, ना जाने इनके द्वारा किसी बड़ी दुर्घटना का इंतजार किया जा रहा है,यह तो समय बताएगा लेकिन कोई गंभीर घटना इन घुमंतू पशुओं के यहां वहां विचरण करने से यदि होता है तो यह जिम्मेदारी किसके सर माथे पर होगी इसे जरूर इन प्रतिनिधियों को पूछा जाना चाहिए,,,,।
,,,,,वर्तमान सरपंच का चुनाव कुछ माह पहले ही हुआ है,इसके पहले इस महानुभावों के द्वारा ग्राम पंचायत कुरदा का कार्यभार अनेकों बार संभाल जा चुका है, इसके बाद भी इस सरपंच के द्वारा इस समस्या पर कहीं कभी कोई समाधान नहीं निकल गया,और पहले से लेकर आज तक घुमंतू पशुओं के कारण राहगीरों का जान भारी जोखिम में पड़ा हुआ है,बताया जाता है कि इन घुमंतू पशुओं में ग्राम प्रतिनिधियों का पशु भी शामिल होते हैं,और उनके द्वारा पशुओं को घर में बांधकर देखभाल करने के बजाय सरेआम गली,मोहल्लो,चौक चौराहा में छोड़ दिया जाता है,इसलिए भी इन ग्राम प्रतिनिधियों के अतिरिक्त अन्य लोगों के द्वारा भी अपने पशुओं के रखरखाव करने के बजाय बड़ी लापरवाही सामने आ रही है,,,।

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