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राष्ट्रीय साधन सह प्रावीण्य छात्रवृत्ति योजना2024-25 में  शा  पूर्व मा शा भोजपुर चांपा के दो छात्रों का चयन

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खोज खबर छत्तीसगढ़ जिला ब्यूरो हरी देवांगन

जांजगीर-चांपा :    भारत सरकार मंत्रालय स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग नई दिल्ली द्वारा राष्ट्रीय साधन सह प्रावीण्य छात्रवृत्ति योजना कक्षा 8वीं में अध्ययनरत आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के विद्यार्थियों के लिए छात्रवृत्ति प्रदान करने की महत्वपूर्ण योजना है l इस योजना के तहत कक्षा 9वीं से लेकर 12वीं तक प्रतिमाह 1000/-की छात्रवृति प्रदान की जाती है l
       इस महत्वपूर्ण परीक्षा में  शा. पूर्व. माध्यमिक शाला  भोजपुर चांपा के प्रेम कुमार रात्रे पिता हरिवंश कुमार रात्रे 28 वें स्थान पर और ओंकार देवांगन पिता जगेश्वर देवांगन 29वें  स्थान पर अनारक्षित केटेगरी में चयन हुआ ।
यह उपलब्धि  छात्र और उनके माता -पिता के लिए एक वरदान साबित होगा । उनके उच्च शिक्षा प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त होगा।


    विकास खंड शिक्षा अधिकारी बम्हनीडीह के विशेष मार्गदर्शन और विद्यालय के प्रधान पाठक श्रीमती नीरा प्रधान के साथ विषय शिक्षक श्री टिकेश्वर कौशिक,श्रीमती गोरेती तिर्की, श्रीमती उमा देवी पटेल, श्रीमती बबीता बानी, और रामाधार सिंह कंवर का विशेष मार्गदर्शन के साथ बच्चों का मेहनत और माता पिता के आशीर्वाद से यह सफलता मिली है। दोनों छात्रों के चयन पर विद्यालय परिवार और पालक हर्षित है । इस उपलब्धि पर प्रधान पाठक श्रीमती नीरा प्रधान एवं शिक्षक गण की ओर शुभकामनाएं प्रेषित किया गया।

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🌿 पर्यावरण नहीं बचेगा तो हम भी नहीं बचेंगे 🌏

(विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून 2025 पर विशेष संपादकीय)

हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। यह दिन महज एक औपचारिकता नहीं, बल्कि चेतावनी है — हमारी धरती, हमारी प्रकृति अब और ज्यादा बोझ नहीं सह सकती। इस वर्ष की थीम है “प्लास्टिक प्रदूषण पर विजय – एक साथ मिलकर समाधान”, जो हमें उस संकट की याद दिलाती है जो हमारे रोज़मर्रा के जीवन का हिस्सा बन चुकी प्लास्टिक से जुड़ा है।

छत्तीसगढ़ जैसे हरित राज्य में जहां वनों की भरमार है, आदिवासी परंपराएं प्रकृति से जुड़ी हैं और नदियां जीवनदायिनी बनकर बहती हैं, वहां भी हम देख रहे हैं कि नदियां सिकुड़ रही हैं, जंगल उजड़ रहे हैं और हवा जहरीली होती जा रही है। विकास की दौड़ में हमने पर्यावरण की कीमत चुकाई है — और अब वह मूल्य बहुत महंगा हो चला है।

पर्यावरण की दुर्दशा के मुख्य कारण:

  • पेड़ों का अंधाधुंध कटाव
  • अवैध खनन और औद्योगिक प्रदूषण
  • प्लास्टिक और पॉलीथीन का अत्यधिक प्रयोग
  • जल स्रोतों का दोहन और शहरीकरण

“खोज खबर छत्तीसगढ़” के माध्यम से हम सभी पाठकों से अपील करते हैं:

  • कम से कम एक पौधा लगाएं और उसकी देखभाल करें।
  • प्लास्टिक की थैलियों की जगह कपड़े या जूट के थैले अपनाएं।
  • घरों में वर्षा जल संचयन को प्रोत्साहित करें।
  • स्थानीय स्तर पर वृक्षारोपण और सफाई अभियानों में भाग लें।

पर्यावरण बचाना कोई एक दिन का काम नहीं, यह रोज़ की आदत बननी चाहिए।

“अगर आज नहीं जागे, तो कल के पास कोई हरियाली नहीं होगी।”

– संपादकीय टीम, खोज खबर छत्तीसगढ़
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