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अमृत महोत्सव का प्रतीक चिन्ह जमींदोज: जिम्मेदारों की उदासीनता उजागर

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शहीद स्मारक चौक में गिरा प्रतीक, कई महीनों से उपेक्षित

✍️ खोज खबर छत्तीसगढ़, ब्यूरो चीफ: हरि देवांगन
चांपा, जिला उपमुख्यालय

चांपा नगर में राष्ट्रीय गौरव से जुड़ा प्रतीक चिन्ह—“आजादी का अमृत महोत्सव”—अब उपेक्षा और लापरवाही की धूल फांक रहा है। चांपा थाना के समीप स्थित शहीद स्मारक चौक में स्थापित यह चिन्ह विगत कई महीनों से क्षतिग्रस्त अवस्था में ज़मीन पर गिरा पड़ा है। लेकिन स्थानीय निकाय प्रशासन की आंखों पर जैसे पट्टी बंधी हो—न कोई संज्ञान, न कोई सुधार की पहल।

केंद्र सरकार द्वारा देशभर में आजादी के 75 वर्षों के गौरवशाली इतिहास के प्रचार-प्रसार हेतु लगाए गए इस प्रतीक चिन्ह का उद्देश्य राष्ट्रीय चेतना और स्वतंत्रता संग्राम के मूल्यों को जन-जन तक पहुँचाना था। लेकिन चांपा में यह प्रतीक आज खुद उपेक्षा का शिकार बन गया है।

यह वही स्थान है, जहां राष्ट्रीय पर्वों और शहादत के दिवसों पर नगर के जिम्मेदार लोग शहीदों को श्रद्धांजलि देने एकजुट होते हैं। लेकिन आज यही स्मारक और अमृत महोत्सव का प्रतीक, प्रशासनिक उदासीनता के कारण बदहाली का आंसू रो रहा है।

प्रतिदिन गुजरते हैं ‘जिम्मेदार’, फिर भी नहीं दिखी संवेदनशीलता

नगरपालिका, जनप्रतिनिधि और प्रशासनिक अधिकारी इस स्मारक से रोजाना गुजरते हैं, पर किसी ने इस प्रतीक चिन्ह को पुनः स्थापित करने की ज़रूरत तक नहीं समझी। यह न सिर्फ राष्ट्रीय भावना का अपमान है, बल्कि हमारे शहीदों के प्रति भावनात्मक असंवेदनशीलता भी दर्शाता है।

वर्तमान में प्रतीक चिन्ह पूरी तरह से टूटकर ज़मीन पर पड़ा है, और किसी भी वक्त पूरी तरह से नष्ट हो सकता है। यह स्थिति केवल प्रतीक चिन्ह की नहीं, बल्कि हमारी सोच, व्यवस्था और राष्ट्रीय जिम्मेदारियों की भी है।

क्या सिर्फ भाषणों में ही सिमट गया ‘आजादी का अमृत महोत्सव’?

ऐसे हालात में प्रश्न उठना स्वाभाविक है—क्या आजादी का अमृत महोत्सव केवल औपचारिक आयोजनों और भाषणबाज़ी तक सीमित रह गया है? क्या राष्ट्रप्रेम और शहीद स्मारकों के प्रति हमारी जिम्मेदारी इतनी खोखली हो गई है कि प्रतीक चिन्ह भी हमसे सुरक्षित नहीं?

जरूरत है भागीरथ प्रयास की

शहीद स्मारक और अमृत महोत्सव प्रतीक चिन्ह के संरक्षण हेतु त्वरित कदम उठाने की आवश्यकता है। यह न केवल सौंदर्यीकरण का विषय है, बल्कि राष्ट्रीय अस्मिता, सम्मान और कर्तव्यबोध से भी जुड़ा हुआ प्रश्न है। उम्मीद की जाती है कि संबंधित विभाग और जिम्मेदार व्यक्ति शीघ्र संज्ञान लेकर इसे पुनः स्थापित करेंगे और शहीदों की स्मृति को सम्मान देंगे।

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