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तिल्दा नेवरा — बीएनबी विद्यालय नेवरा में कला उत्सव की धूम, प्रतिभागियों ने दिखाई अपनी प्रतिभा

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ख़ोज ख़बर छत्तीसगढ़ संवाददाता संतोष कुमार यदु

तिल्दा। बद्रीनारायण बगड़िया उच्चतर माध्यमिक विद्यालय नेवरा में विकासखण्ड स्तरीय कला उत्सव का भव्य आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत माँ भारती एवं छत्तीसगढ़ महतारी की पूजा-अर्चना व वंदन से हुई।

मुख्य अतिथि एवं शाला प्रबंधन एवं विकास समिति अध्यक्ष नरेंद्र शर्मा ने कहा कि ऐसे उत्सव बाल प्रतिभाओं को मंच देकर उन्हें निखारने का कार्य करते हैं। उन्होंने बच्चों और शिक्षकों को बधाई देते हुए कहा कि सरकार की मंशा है कि विकसित भारत श्रेष्ठ 2047 के विजन में इस तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी योगदान रहेगा।

भाजपा शहर मंडल उपाध्यक्ष सौरभ जैन ने कहा कि कला और संस्कृति बच्चों के सर्वांगीण विकास का एक अहम पहलू है। इस आयोजन से बच्चों में अपनी संस्कृति की समझ विकसित होने के साथ अभिव्यक्ति और प्रस्तुतिकरण की क्षमता भी बढ़ती है। उन्होंने समीपस्थ व दूरस्थ विद्यालयों से आए सहभागी शाला परिवारों का अभिनंदन किया।

नोडल अधिकारी एवं प्राचार्य राजेश चंदानी ने बताया कि यह कार्यक्रम केंद्रीय शिक्षा एवं साक्षरता विभाग तथा राष्ट्रीय शिक्षा एवं प्रशिक्षण परिषद द्वारा समर्थित है। इसकी शुरुआत वर्ष 2015 में बच्चों में लोककला, लोकसंस्कृति और भारतीय सांस्कृतिक विरासत की समझ विकसित करने के उद्देश्य से हुई थी। कला उत्सव 2025 में विद्यार्थियों को गायन, वादन, नाटक, दृश्य कला, शास्त्रीय/उपशास्त्रीय नृत्य, पारंपरिक कहानी वाचन सहित 12 विधाओं में अपनी कला प्रदर्शित करने का अवसर मिला।

उन्होंने बताया कि अब मूल्यांकन की प्रक्रिया में बदलाव किया गया है— पूर्व में प्राथमिक से लेकर उच्चतर माध्यमिक स्तर तक अलग-अलग श्रेणियों में मूल्यांकन होता था, लेकिन अब विद्यालय से राष्ट्रीय स्तर तक केवल कक्षा 9वीं से 12वीं तक के विद्यार्थियों का समेकित मूल्यांकन निर्धारित मापदंडों के तहत किया जा रहा है। कला उत्सव “एक भारत-श्रेष्ठ भारत” पहल का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रदर्शन करना है।

कार्यक्रम में संस्था प्रमुखों, निर्णायकों, आयोजन समिति के पदाधिकारियों की गरिमामयी उपस्थिति रही। प्राचार्य राजेश चंदानी ने डॉ. ताहिलयानी को स्मृति-चिन्ह, शाल और श्रीफल भेंट कर सम्मानित किया।

अपने उद्बोधन में डॉ. ताहिलयानी ने कहा कि गाँव और कस्बों में भी प्रतिभाओं की कमी नहीं है। हम विकासशील देश के नागरिक हैं, लेकिन 21वीं सदी में हमारे पास उपलब्ध अत्याधुनिक तकनीक, वैज्ञानिक दृष्टिकोण, सकारात्मक चिंतन, कठोर परिश्रम, लगन और समर्पण की भावना से यदि राष्ट्रहित में काम किया जाए, तो कोई भी उपलब्धि असंभव नहीं।

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