नैला–बलौदा मार्ग की बदहाल सड़कों से भड़का जनाक्रोश, 20 सितंबर के बाद कभी भी भड़क सकता है बड़ा आंदोलन

खोज खबर छत्तीसगढ़ / ब्यूरो चीफ हरि देवांगन
जिला मुख्यालय जांजगीर-चांपा।
नैला–बलौदा मार्ग की जर्जर और खतरनाक स्थिति ने ग्रामीणों का जीना दुश्वार कर दिया है। इस सड़क पर दिन–रात दौड़ते ओवरलोड ट्रेलर और भारी वाहन जहां यातायात नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं, वहीं आम लोगों की जिंदगी के साथ भी खिलवाड़ हो रहा है। हालात इतने भयावह हो चुके हैं कि ग्रामीणों का धैर्य अब जवाब देने लगा है और जनाक्रोश उबाल पर है।
आंदोलन की चेतावनी, प्रशासन पर गंभीर आरोप
ग्राम सिवनी नैला और आसपास के गांवों के लोग वर्षों से इस समस्या को उठा रहे हैं। ज्ञापन सौंपने से लेकर आंदोलन की चेतावनी तक दी गई, लेकिन शासन–प्रशासन ने हर बार केवल कागजी कार्रवाई कर मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया। हाल ही में ग्रामीणों ने चक्काजाम का आवेदन दिया था। मौके पर पहुंचे अधिकारियों ने लिखित आश्वासन दिया कि जल्द ठोस कदम उठाए जाएंगे। आश्वासन के भरोसे ग्रामीणों ने आंदोलन स्थगित किया, लेकिन तीन दिन बीत जाने के बाद भी अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।
ग्रामीणों का आरोप है कि प्रशासन कोल ट्रेलर संचालकों और ठेकेदारों के दबाव में काम कर रहा है। सुरक्षा की बजाय मुनाफे को प्राथमिकता दी जा रही है।
उप सरपंच का बयान: “आक्रोश काबू से बाहर”
ग्राम सिवनी नैला के उप सरपंच शुभांशु मिश्रा ने स्पष्ट कहा –
“हजारों की संख्या में ग्रामीण आंदोलन के लिए तैयार हैं। यदि हमारी मांगें पूरी नहीं हुईं तो 20 सितंबर के बाद किसी भी समय आंदोलन भड़क सकता है। यदि स्थिति बेकाबू हुई तो इसकी पूरी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी। प्रशासन नो-एंट्री लागू करने से इसलिए डर रहा है क्योंकि वह ट्रेलर संचालकों के दबाव में है।”
हादसों से नहीं लिया सबक
इस मार्ग पर अब तक कई हादसों में लोगों की जान जा चुकी है और असंख्य परिवार प्रभावित हुए हैं। बावजूद इसके प्रशासनिक मशीनरी हर बार केवल औपचारिकता निभाकर मामले को रफा-दफा करती रही। ग्रामीणों का कहना है कि सड़कें खून से लाल हो रही हैं लेकिन जिम्मेदारों ने जनता की जिंदगी की कीमत को बेहद सस्ता समझ रखा है।
जनप्रतिनिधियों की चुप्पी सवालों के घेरे में
ग्रामीणों ने अपने जनप्रतिनिधियों पर भी निशाना साधा है। उनका कहना है कि जब जनता की जान जोखिम में है, तब क्षेत्र के चुने हुए प्रतिनिधि “मौनी बाबा” बने बैठे हैं। न कोई बयान, न पहल और न ही ठोस कदम। जनता सवाल उठा रही है कि क्या उनके जनप्रतिनिधि कोल ट्रेलर संचालकों और ठेकेदारों से मिले हुए हैं? यदि प्रतिनिधि ही जनता की सुरक्षा को ताक पर रख देंगे तो फिर जनता का भरोसा किस पर रहेगा?
अब कभी भी हो सकता है बड़ा आंदोलन
ग्रामीणों ने साफ चेतावनी दी है कि यदि 20 सितंबर तक ठोस कदम नहीं उठाए गए तो आंदोलन ऐतिहासिक होगा। हजारों की संख्या में लोग सड़कों पर उतरेंगे और प्रशासन को इसकी पूरी जिम्मेदारी उठानी होगी।
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