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गरबा नहीं, छत्तीसगढ़ी संस्कृति ही हमारी पहचान – छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना

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गरबा आयोजन के विरोध में थाना प्रभारी को ज्ञापन सौंपा।

धरसीवां : ख़ोज ख़बर छत्तीसगढ संवाददाता

धरसींवा खंड़, 20 सितम्बर।
नवरात्र पर्व के मौके पर छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना (सी के एस) ने धरसींवा खंड़ के ग्रामीण क्षेत्र में गरबा आयोजन के विरोध में थाना प्रभारी को ज्ञापन सौंपा।

क्रान्ति सेना के पदाधिकारियों ने बताया कि नवरात्र पर्व छत्तीसगढ़ की अपनी विशिष्ट संस्कृति और परंपराओं का प्रतीक है। इस पर्व पर सुवा नृत्य, कर्मा नृत्य, पंथी, ददरिया, राउत नाचा, सेवा जस गीत और माता के चरित्रण झांकी जैसी परंपराएं सदियों से चली आ रही हैं।

ज्ञापन में कहा गया कि गरबा गुजरात की संस्कृति है, जिसे छत्तीसगढ़ पर थोपने की कोशिश की जा रही है। कई बार गरबा आयोजनों में फिल्मी गानों का इस्तेमाल और अशोभनीय वस्त्रों के साथ अंग-प्रदर्शन किया जाता है, जो नवरात्र जैसे पावन पर्व की गरिमा के विपरीत है और आने वाली पीढ़ी पर गलत प्रभाव डालता है। इसे माता का अपमान मानते हुए क्रान्ति सेना ने साफ किया कि उनका उद्देश्य किसी संस्कृति का विरोध करना नहीं है, बल्कि संस्कृति के नाम पर फैल रही अश्लीलता और दिखावे का विरोध करना है।

कार्यक्रम में शामिल तमाम सेनानी और पदाधिकारियों ने एकजुट होकर चेतावनी दी कि आने वाले समय में यदि ऐसे आयोजनों पर रोक नहीं लगाई गई तो उग्र आंदोलन किया जाएगा।


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