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पत्रकारिता के मूल्यों को समझें, बल्कि समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकें

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चौथे स्तंभ में शिक्षित और जिम्मेदार लोगों की आवश्यकता पत्रकार यदुवंशी

सतना खोज  खबर छत्तीसढ


*जागृत साहस* लोकतंत्र में चौथे स्तंभ के रूप में पत्रकारिता का महत्वपूर्ण स्थान है। यह न केवल नागरिकों को सूचित करने और शिक्षित करने का काम करता है, बल्कि सरकार और अन्य शक्तिशाली संस्थाओं को जवाबदेह ठहराने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

चौथे स्तंभ में शिक्षित और जिम्मेदार लोगों की आवश्यकता है, जो न केवल पत्रकारिता के मूल्यों को समझें, बल्कि समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकें। इसलिए, कम से कम स्नातक स्तर की शिक्षा की आवश्यकता है, ताकि पत्रकारिता में निष्पक्षता और गुणवत्ता बनी रहे।

वर्तमान में, चौथे स्तंभ में माफिया और अन्य अवांछित तत्वों का प्रवेश एक बड़ा चुनौती है। इन तत्वों को पत्रकारिता के नाम पर व्यावसायिक और अवैध गतिविधियों में शामिल होने से रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट और अन्य संबंधित अधिकारियों को ध्यान देना चाहिए।

इस संदर्भ में, यह आवश्यक है कि चौथे स्तंभ में शिक्षित, जिम्मेदार और स्वच्छ छवि वाले लोगों को प्रवेश दिया जाए, जो पत्रकारिता के मूल्यों को समझें और समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकें इस कार्य के लिए संपादक व ऐजेंसी पत्रकार संगठन अपने  संस्थान स्तर की  पत्रकार नियुक्त करने से पहले छन्नी करलें क्योंकि आज बहुत से लोग पत्रकारिता को  बदनाम कर रहे हैं जिससे समाज में गंध फैला रही है जो समाज को सच्चाई दिखाता है दर्पण में ही दांग नहीं होनी चाहिए।

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🌿 पर्यावरण नहीं बचेगा तो हम भी नहीं बचेंगे 🌏

(विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून 2025 पर विशेष संपादकीय)

हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। यह दिन महज एक औपचारिकता नहीं, बल्कि चेतावनी है — हमारी धरती, हमारी प्रकृति अब और ज्यादा बोझ नहीं सह सकती। इस वर्ष की थीम है “प्लास्टिक प्रदूषण पर विजय – एक साथ मिलकर समाधान”, जो हमें उस संकट की याद दिलाती है जो हमारे रोज़मर्रा के जीवन का हिस्सा बन चुकी प्लास्टिक से जुड़ा है।

छत्तीसगढ़ जैसे हरित राज्य में जहां वनों की भरमार है, आदिवासी परंपराएं प्रकृति से जुड़ी हैं और नदियां जीवनदायिनी बनकर बहती हैं, वहां भी हम देख रहे हैं कि नदियां सिकुड़ रही हैं, जंगल उजड़ रहे हैं और हवा जहरीली होती जा रही है। विकास की दौड़ में हमने पर्यावरण की कीमत चुकाई है — और अब वह मूल्य बहुत महंगा हो चला है।

पर्यावरण की दुर्दशा के मुख्य कारण:

  • पेड़ों का अंधाधुंध कटाव
  • अवैध खनन और औद्योगिक प्रदूषण
  • प्लास्टिक और पॉलीथीन का अत्यधिक प्रयोग
  • जल स्रोतों का दोहन और शहरीकरण

“खोज खबर छत्तीसगढ़” के माध्यम से हम सभी पाठकों से अपील करते हैं:

  • कम से कम एक पौधा लगाएं और उसकी देखभाल करें।
  • प्लास्टिक की थैलियों की जगह कपड़े या जूट के थैले अपनाएं।
  • घरों में वर्षा जल संचयन को प्रोत्साहित करें।
  • स्थानीय स्तर पर वृक्षारोपण और सफाई अभियानों में भाग लें।

पर्यावरण बचाना कोई एक दिन का काम नहीं, यह रोज़ की आदत बननी चाहिए।

“अगर आज नहीं जागे, तो कल के पास कोई हरियाली नहीं होगी।”

– संपादकीय टीम, खोज खबर छत्तीसगढ़
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