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आषाढ़ गुप्त नवरात्रि: तंत्र साधना, शक्ति उपासना और आध्यात्मिक जागरण का विशेष पर्व

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गुप्त नवरात्रि विशेष रिपोर्ट

खास रिपोर्ट | खोच खबर छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ सहित पूरे भारत में इस वर्ष आषाढ़ गुप्त नवरात्रि का पर्व अत्यंत श्रद्धा और विधिपूर्वक मनाया जा रहा है। यह नवरात्रि पर्व 6 जुलाई 2025 से प्रारंभ होकर 15 जुलाई 2025 तक चलेगा। शास्त्रों के अनुसार, गुप्त नवरात्रि तंत्र साधना, मां दुर्गा की विशेष आराधना और आत्मशुद्धि का श्रेष्ठ अवसर माना जाता है।

🔱 क्या है गुप्त नवरात्रि?

वैसे तो नवरात्रि वर्ष में चार बार आती है—दो सामान्य और दो गुप्त। चैत्र और शारदीय नवरात्रि को सामान्य नवरात्रि कहा जाता है, जबकि आषाढ़ और माघ मास में आने वाली नवरात्रियों को ‘गुप्त नवरात्रि’ कहा जाता है। गुप्त नवरात्रि विशेष रूप से तांत्रिक और साधकों के लिए बहुत ही फलदायी मानी जाती है। इसमें दस महाविद्याओं की साधना की जाती है।

🙏 माता श्री की पूजा और उपासना

गुप्त नवरात्रि के दौरान साधक मां दुर्गा और उनकी दस महाविद्याओं—काली, तारा, त्रिपुरा सुंदरी, भुवनेश्वरी, भैरवी, छिन्नमस्ता, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी—की विशेष आराधना करते हैं। यह पूजा विधिवत ब्रह्ममुहूर्त में स्नान, शुद्धिकरण, नवग्रह और सप्त चिरंजीवी की वंदना के साथ प्रारंभ होती है।

🔮 तंत्र साधना और विशेष अनुष्ठान

गुप्त नवरात्रि में रात्रि कालीन पूजा, हवन, जप, यंत्र-साधना और विशेष तांत्रिक अनुष्ठान का विशेष महत्व होता है। साधक इस दौरान शक्ति की प्राप्ति, मनोकामना पूर्ति, शत्रु बाधा निवारण, और रोग-शोक से मुक्ति के लिए साधनाएं करते हैं।

🕉️ घरों और मंदिरों में उत्साह

छत्तीसगढ़ के कई प्राचीन शक्ति पीठों—डोंगरगढ़, रतनपुर की महामाया मंदिर, दंतेवाड़ा की दंतेश्वरी माई, तथा रायपुर के समलेश्वरी मंदिर में भक्तों की विशेष भीड़ देखने को मिलती है। मां दुर्गा की अखंड ज्योत, माता का श्रृंगार और दुर्गा सप्तशती पाठ के आयोजन से भक्तिमय वातावरण बन जाता है।

🗣️ पंडितों का मत

पंडित रामलाल शास्त्री के अनुसार, “गुप्त नवरात्रि में पूजा करने से साधक को सिद्धि, समृद्धि, और आध्यात्मिक उन्नति की प्राप्ति होती है। यह पर्व उन लोगों के लिए विशेष लाभकारी है जो साधना में रुचि रखते हैं या अपने जीवन में विशिष्ट लक्ष्यों की पूर्ति के लिए संकल्पित हैं।”




📌 निष्कर्ष:
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि न केवल तंत्र-साधना का पर्व है, बल्कि यह आत्मानुशासन, शक्ति आराधना और साधना की श्रेष्ठ परंपरा को आगे बढ़ाने का अद्भुत अवसर भी है। हर साधक और भक्त को इस पावन पर्व में आस्था और श्रद्धा के साथ माता रानी की उपासना करनी चाहिए।

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