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संपादकीय विशेष: पर्यावरण नहीं बचेगा तो हम भी नहीं बचेंगे

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(विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून 2025 पर विशेष)

खोज खबर छत्तीसगढ़ संवाददाता संतोष कुमार यदु

रायपुर छत्तीसगढ़: हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। यह दिन महज एक औपचारिकता नहीं, बल्कि चेतावनी है — हमारी धरती, हमारी प्रकृति अब और ज्यादा बोझ नहीं सह सकती। इस वर्ष की थीम है “प्लास्टिक प्रदूषण पर विजय – एक साथ मिलकर समाधान”, जो हमें उस संकट की याद दिलाती है जो हमारे रोज़मर्रा के जीवन का हिस्सा बन चुकी प्लास्टिक से जुड़ा है।

छत्तीसगढ़ जैसे हरित राज्य में जहां वनों की भरमार है, आदिवासी परंपराएं प्रकृति से जुड़ी हैं और नदियां जीवनदायिनी बनकर बहती हैं, वहां भी हम देख रहे हैं कि नदियां सिकुड़ रही हैं, जंगल उजड़ रहे हैं और हवा जहरीली होती जा रही है। विकास की दौड़ में हमने पर्यावरण की कीमत चुकाई है — और अब वह मूल्य बहुत महंगा हो चला है।

पेड़ों का कटाव, अवैध खनन, पॉलीथीन का बेतहाशा उपयोग, और बढ़ता शहरीकरण — ये सब मिलकर हमें एक ऐसी दिशा में ले जा रहे हैं जहां जीवन संकट में पड़ सकता है। अगर आज हमने चेतना नहीं दिखाई तो आने वाली पीढ़ियां हमें माफ नहीं करेंगी।

“खोज खबर छत्तीसगढ़” के माध्यम से हम सभी पाठकों, जिम्मेदार नागरिकों, और विशेष रूप से युवा वर्ग से अपील करते हैं:

एक पौधा लगाएं, लेकिन उससे भी जरूरी है कि उसे बड़ा करें।

प्लास्टिक की थैलियों की जगह कपड़े या जूट के थैले अपनाएं।

जल संरक्षण को जीवन का हिस्सा बनाएं।

स्थानीय प्रशासन और समाज के साथ मिलकर वृक्षारोपण और स्वच्छता अभियानों में भाग लें।


पर्यावरण बचाना कोई एक दिन का काम नहीं, यह रोज़ की आदत बननी चाहिए।
आइए, इस पर्यावरण दिवस पर सिर्फ भाषण न दें — एक हरित क्रांति की शुरुआत अपने घर से करें।

– संपादकीय टीम, खोज खबर छत्तीसगढ़
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