👉 बिना तैयारी के तीन माह का राशन वितरण बना मुसीबत, अब 7-8 जुलाई को पुनः वितरण आदेश

प्रदेश सरकार द्वारा मनाए गए “चाऊर तिहार” की चमक-दमक के पीछे गरीब राशन कार्डधारी हितग्राहियों को भारी अव्यवस्था का सामना करना पड़ा। जिला चांपा सहित प्रदेशभर में एक साथ तीन माह का राशन बांटने के अचानक लिए गए फैसले से सार्वजनिक वितरण प्रणाली की पोल खुल गई। राशन दुकानों और सोसायटियों में अव्यवस्था, लंबी कतारें, बार-बार लौटते हितग्राही, और भारी बारिश ने स्थिति को और जटिल बना दिया।
❗ आदेश आया अचानक, तैयारी थी नदारद
शासन द्वारा एक साथ तीन माह का चावल वितरण करने का आदेश तो आ गया, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई तैयारी नहीं थी। राशन वितरण करने वाले सोसायटी संचालक व कर्मियों के पास न तो भंडारण की व्यवस्था थी, न ही वितरण के लिए अतिरिक्त संसाधन। परिणामस्वरूप अधिकांश कार्डधारी भारी बारिश और बिजली कटौती के बीच राशन की आस में भटकते नजर आए।
40% से अधिक हितग्राही रह गए वंचित
सूत्रों के अनुसार, जिले की अधिकांश राशन दुकानों में 40 फीसदी से अधिक लाभार्थियों को चावल नहीं मिल सका। वितरण केन्द्रों में भीड़, बदइंतजामी और बार-बार टोकन कटवाने की प्रक्रिया ने स्थिति को तनावपूर्ण बना दिया। कई जगह संचालकों और हितग्राहियों के बीच विवाद की स्थिति उत्पन्न हो गई, जिसे लेकर असंतोष बढ़ता गया।
️ मानसून और बिजली ने डाली और मुश्किलें
इधर मानसून की झमाझम बारिश और बाधित बिजली आपूर्ति ने काम को और धीमा कर दिया। इलेक्ट्रॉनिक वितरण प्रणाली (ई-पॉस मशीनें) बार-बार ठप होने से वितरण में देरी हुई। तीन माह का राशन एक साथ ले जाने के लिए हितग्राही भी तैयार नहीं थे, जिससे उन्हें बार-बार आना पड़ा।
अब 7-8 जुलाई को फिर से मिलेगा राशन
स्थिति को देखते हुए शासन ने अब 7 से 8 जुलाई तक सभी राशन दुकानों और सोसायटियों में पुनः वितरण कराने का आदेश जारी किया है। जिन हितग्राहियों को पिछली बार राशन नहीं मिला था, वे अब अपना अधूरा हिस्सा प्राप्त कर सकेंगे।
樂 जनता में नाराजगी: पहले से होती तैयारी तो टलती अव्यवस्था
कई हितग्राहियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने चाऊर तिहार की अचानक घोषणा पर नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि यदि शासन ने एक-दो माह पहले यह सूचना दी होती, तो सोसायटी संचालक, हितग्राही और वितरण प्रणाली सभी को तैयारी का समय मिल जाता। अब जब यह “तिहार” कड़वी यादें छोड़ गया है, तब शासन को चाहिए कि भविष्य में इस तरह के निर्णय पूर्व योजना और संवाद के साथ लिए जाएं।
️ निष्कर्ष:
“चाऊर तिहार” का उद्देश्य भले ही जनहित में रहा हो, लेकिन अव्यवस्था और असमय निर्णय ने जनता को परेशानी के गर्त में धकेल दिया। आने वाले दिनों में यदि इस योजना के वितरण में पारदर्शिता और समुचित तैयारी की गई, तभी यह योजना वास्तविक रूप से हितग्राहियों के लिए “त्योहार” साबित होगी।
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