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विधायक कका बनीस ज्ञापन के बेताज बादशाह ,,, नगर में बिजली समस्या बद से हुआ बद्तर,,,,

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भरे मानसून में बाधित बिजली की रिमझिम बरसात

खोज खबर छत्तीसगढ़ ब्यूरो चीफ हरि देवांगन


जिला उपमुख्यालय चांपा,,, चांपा विधानसभा क्षेत्र के लिए बिजली समस्या स्थाई अभिशाप बन कर हर दिन हर पल नगर वासियों के साथ जो कयामत ढा रहा है उसे लेकर नगर वासी हर दिन विकास के नाम पर ढिंढोरा पीटने वाले जनप्रतिनिधियों को शिवाय कोसने के कुछ कर पाने में सर्वथा असहाय महसूस कर रहे हैं, वैसे इस संदर्भ में कुछ माह पहले क्षेत्रीय विधायक के द्वारा पहल करते हुए चांपा विद्युत मंडल के जिम्मेदार अधिकारी को दलबल के साथ ज्ञापन सौपने के बाद उनके द्वारा किसी भी तरह का संज्ञान नहीं लिए जाने के कारणों से स्थिति यथावत बना हुआ है, इस हालत में तो यही कहा जा सकता है कि नगर कका ज्ञापन देकर अपना पल्ला ले गए, और नगर वासी हमेशा की भांति इस बार भी ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं,
,,,,,,जनप्रतिनिधि कौड़ी काम के नहीं,,,,, जिला उप मुख्यालय चांपा आज से नहीं बल्कि सालों से बिजली समस्या को लेकर हर मौसम में अलग-अलग किस्म की परेशानियों से जूझ रहे हैं यह सब जान समझ कर भी क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि सफलतम प्रयास करने के बजाय ज्ञापन देने जैसे खाना पूर्ति को अपना लोकप्रियता बनाए रखने का जरिया समझ बैठे हैं,यह भलीभांति सभी को ज्ञात है कि नगर में गंभीर और पुरानी बिजली समस्या से नगर वासी जूझ रहे हैं, इसके उपरांत भी सार्थक पहल करने के बजाय ज्ञापन देने जैसे अति सस्ती कार्य करके जनप्रतिनिधि परंपरागत हरकत हासिल करने पर आमादा नजर आ रहे हैं,क्या जनप्रतिनिधियों का यह जिम्मेदारी नहीं बनता की किसी भी कार्य का बीड़ा उठाने के साथ ही उस पर क्या और कितना अमल हुआ इसका भी संज्ञान लिया जाना चाहिए,और यही वजह है कि ज्ञापन देकर भूल जाने के बाद सक्षम एवं जिम्मेदार अधिकारी इस समस्या को विधायक के भांति भूल गए तो फिर आम जनता को समस्या का समाधान किस तरह से और कैसे मिल पाएगा,,,,?
,,,,,भीषण गर्मी से लेकर मानसून तक जनता रोऐ तार तार,,, इस वर्ष का भीषण गर्मी से लेकर वर्तमान मानसून के आगमन तक बिजली समस्या ने अपनी जितनी भी रंग उपभोक्ताओं को दिखाया है उतना तो वर्ष भर में गिरगिट भी अपना रंग नहीं बदलता होगा,बताते चलें कि गर्मी के पहले ही मंडल के द्वारा निर्बाध बिजली आपूर्ति को लेकर मेंटेनेंस का कार्य किया गया है और यही मेंटेनेंस का कार्य मानसून के पहले भी कई स्तर पर किया जाता रहा है,इसके बाद भी पल-पल बिजली की समस्या से नगर वासियों को जूझना पड़ रहा है, तो फिर मेंटेनेंस करना कि चिड़िया का नाम है यह नगर वासियों को समझ नहीं आ रहा,और इधर हमारे जनप्रतिनिधि मंडल कार्यालय में पहुंचकर अपनी ही पीठ अपने हाथों थपथपाते हुए ज्ञापन देने तक सीमित रह गए इसे क्या समझा जा सकता है,,,,?
,,,,,संकट की घड़ी में नगर वासियों के हाथ शिवाय अंधेरे के कुछ नहीं,,,, ग्रीष्म ऋतु की तरह वर्षा ऋतु में भी बिजली की उपभोक्ताओं को उतनी ही गंभीर जरूरत होती है,जैसे ही नगर क्षेत्र में मौसम अपना तेवर बदलता है उसके पहले मंडल के द्वारा बिजली आपूर्ति को ढप कर दिया जाता है,जब उपभोक्ताओं को बिजली की नितांत जरूरत पड़ने वाली होती है उसके पहले ही आपूर्ति को बाधित करना नगर वासियों को बहुत अधिक अखरने लगा है,वर्तमान दौर में बिजली आपूर्ति आपदा प्रबंधन के लिए सर्वप्रथम जरूरी समझ जाता है, और जिस तरह से देश सहित प्रदेश एवं जिले क्षेत्र में मानसून की रिमझिम बरसात लगातार बना हुआ है उसे हम किसी आपदा से काम नहीं समझ सकते ऐसी स्थिति में विद्युत आपूर्ति को बार-बार तारीख पर तारीख देने की तरह बंद करना निसंदेह विद्युत उपभोक्ताओं के ऊपर बनावटी आपदा से काम नहीं कहा जा सकता,,,।

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