कलमकारों का संदेश — “ना तोप, ना तलवार… ज़ुल्म मुकाबिल हो तो अखबार निकालो” ख़ोज …
Read More »पत्रकार मुकेश चंद्राकर की निर्मम हत्या और उसके बाद उनकी अस्थियों के साथ हुई इस तरह की छेड़छाड़ न केवल मानवीय संवेदनाओं का अपमान है, बल्कि यह समाज और कानून व्यवस्था के लिए भी एक चुनौती
*बीजापुर।* पत्रकार मुकेश चंद्राकर की निर्मम हत्या और उसके बाद उनकी अस्थियों के साथ हुई इस तरह की छेड़छाड़ न केवल मानवीय संवेदनाओं का अपमान है, बल्कि यह समाज और कानून व्यवस्था के लिए भी एक चुनौती है। संवाददाता संतोष कुमार यदु मुकेश चंद्राकर ने सड़क निर्माण में हो रहे …
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