
खोज खबर छत्तीसगढ़ ब्यूरो चीफ – हरि देवांगन, जिला उप मुख्यालय चांपा
चांपा। शासन-प्रशासन जहां सड़क सुरक्षा के नाम पर हेलमेट बांटने और जागरूकता कार्यक्रम चलाने में व्यस्त है, वहीं दूसरी ओर राष्ट्रीय राजमार्ग-49 पर घुमंतू और आवारा पशुओं की मौजूदगी हर पल हादसे का बड़ा खतरा बनी हुई है।
राज्य सरकार ने कई बार आदेश जारी कर जिला प्रशासन को मुख्य सड़कों और राष्ट्रीय राजमार्ग से बेजुबान पशुओं को हटाने के निर्देश दिए हैं। “रोका-छेका अभियान” और “गोबर खरीदो-गोबर बेचो” जैसी योजनाएं भी चलाई गई थीं, लेकिन समय बीतते ही ये अभियान धराशायी हो गए। नतीजतन आज भी ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में आवारा पशुओं का आतंक जस का तस बना हुआ है।
रोज़ शाम को सड़क पर पसरे रहते हैं मवेशी
चांपा-अकलतरा मार्ग पर विशेषकर अकलतरा नहर किनारे बजरंगबली मंदिर के पास हर शाम सैकड़ों की संख्या में गाय, बैल और भैंसों के झुंड राजमार्ग पर डेरा जमाए रहते हैं। यह दृश्य केवल एक दिन का नहीं बल्कि प्रतिदिन का है। इस वजह से मार्ग पर सफर करने वाले राहगीरों की जान जोखिम में पड़ी रहती है।
खतरनाक मोड़ पर पशुओं का जमावड़ा
अकलतरा चौक के निकट बने खतरनाक मोड़ पर विभाग ने चेतावनी बोर्ड तो लगाया है, लेकिन उसी के आसपास आवारा पशुओं का स्थायी डेरा लगा हुआ है। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस समस्या पर ना तो जिला प्रशासन और ना ही अकलतरा नगर पालिका कोई ठोस कार्रवाई करती है।
प्रशासन की अनदेखी, जनता की मजबूरी
स्थिति यह है कि जिला प्रशासन उच्च स्तरीय आदेशों को दरकिनार कर सड़क पर मंडराते खतरे को अनदेखा कर रहा है। आलम यह है कि पशुपालक अपने मवेशियों को घरों में बांधने के बजाय खुला छोड़ रहे हैं। प्रशासनिक लापरवाही और पशुपालकों की गैर-जिम्मेदारी का खामियाजा आम जनता भुगत रही है।
चैनल की अपील
खोज खबर छत्तीसगढ़ राहगीरों से अपील करता है कि राष्ट्रीय राजमार्ग पर सफर करते समय सावधानी बरतें, गति नियंत्रित रखें और सतर्कता से आगे बढ़ें। बेजुबान पशुओं की सुरक्षा और अपनी जान की हिफाजत के लिए धैर्य ही सबसे बेहतर उपाय है।
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